April 16, 2025

Sant Namdev Chhipa Story in Hindi: नामदेव जी का बिठ्ठल भगवान की मूर्ति को दूध पिलाना

Published on

spot_img

हमारी आज की हिंदी कहानी (Hindi Story) का शीर्षक है Sant Namdev chhipa-नामदेव जी का बिठ्ठल भगवान की मूर्ति को दूध पिलाना।

नामदेव जी की कथा की भूमिका

नामदेव जी ने बिठ्ठल की मूर्ति के सामने दूध का कटोरा रखा। उसी समय मूर्ति के हाथ आगे बढ़े, कटोरा उठाया और सारा दूध पी गए। माता-पिता तो पागल से हो गये। गली में जाकर कहने लगे कि नामदेव ने बिठ्ठल भगवान की मूर्ति को सचमुच दूध पिला दिया। यह बात सारे गाँव में आग की तरह फैल गई, परंतु किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। बात पंचों के पास पहुँच गई कि नामदेव का पिता झूठ कह रहा है कि मेरे पुत्र नामदेव ने पत्थर की मूर्ति को दूध पिला दिया। पंचायत हुई। पंचों ने कहा कि यह भगवान बिठ्ठल जी की मूर्ति रखी है। यह दूध का कटोरा रखा है। हमारे सामने नामदेव दूध पिलाए तो मानेंगे अन्यथा आपको सह परिवार गाँव छोड़कर जाना होगा। उसी समय कटोरा बिठ्ठल जी ने हाथों में पकड़ा और मूर्ति सब दूध पी गई। पंचायत के व्यक्ति तथा दर्शक हैरान रह गए। इस प्रकार नामदेव जी की पूर्व जन्म की भक्ति की शक्ति से परमेश्वर ने चमत्कार किए।

Sant Namdev Chhipa जी कौन थे?

संत नामदेव जी (Sant Namdev chhipa) का जन्म सन् 1270 (विक्रमी संवत् 1327) में छीपा जाति में गाँव-पुण्डरपुर, जिला-सतारा (महाराष्ट्र प्रान्त) में हुआ। स्थानीय गुरूओं के विरोध के कारण नामदेव जी महाराष्ट्र त्यागकर हरिद्वार चले गए। भक्त नामदेव जी के माता-पिता जी बिठ्ठल {श्री विष्णु जी जो एक ईंट (पत्थर) पर खड़े हुए, की पत्थर या पीतल की मूर्ति बनाई जाती है} के परम भक्त थे।

नामदेव जी का बिठ्ठल भगवान की मूर्ति को दूध पिलाना

sant-namdev-king-mother-father-images-picture-photoएक समय संत नामदेव जी के माता-पिता भगवान बिठ्ठल की पत्थर की मूर्ति की पूजा करते थे। घर पर एक अलमारी में मूर्ति रखी थी। प्रतिदिन मूर्ति को दूध का भोग लगाया जाता था। एक कटोरे में दूध गर्म करके मीठा मिलाकर पीने योग्य ठण्डा करके कुछ देर मूर्ति के सामने रख देते थे। आगे पर्दा कर देते थे जो अलमारी पर लगा रखा था। कुछ देर पश्चात् उसे उठाकर अन्य दूध में डालकर प्रसाद बनाकर सब पीते थे। उस समय नामदेव जी केवल 12 वर्ष के थे

एक दिन माता-पिता को किसी कार्यवश दूर अन्य गाँव जाना पड़ा। अपने पुत्र नामदेव से कहा कि पुत्र! हम एक स प्ताह के लिए अन्य गाँव में जा रहे हैं। आप घर पर रहना। पहले बिठ्ठल जी को दूध का भोग लगाना, फिर बाद में भोजन खाना। ऐसा नहीं किया तो भगवान बिठ्ठल नाराज हो जाऐंगे और अपने को श्राप दे देंगे। अपना अहित हो जाएगा। यह बात माता-पिता ने नामदेव से जोर देकर और कई बार दोहराई और यात्रा पर चले गए।

नामदेव जी का बिठ्ठल भगवान की मूर्ति से दूध पीने की प्रार्थना करना

namdev-and-samaj-image-pic-photos-bitthal-statueसंत नामदेव जी ने सुबह उठकर स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर दूध का कटोरा भरकर भगवान की मूर्ति के सामने रख दिया और दूध पीने की प्रार्थना की, परंतु मूर्ति ने दूध नहीं पीया। भक्त ने भी भोजन तक नहीं खाया। तीन दिन बीत गए। प्रतिदिन इसी प्रकार दूध मूर्ति के आगे रखते और विनय करते कि हे बिठ्ठल भगवान! दूध पी लो। आज आपका सेवादार मर जाएगा क्योंकि और अधिक भूख सहन करना मेरे वश में नहीं है। माता-पिता नाराज होंगे। भगवान मेरी गलती क्षमा करो। मुझसे अवश्य कोई गलती हुई है। जिस कारण से आप दूध नहीं पी रहे। माता-पिता जी से तो आप प्रतिदिन भोग लगाते थे।

संत नामदेव जी को ज्ञान नहीं था कि माता-पिता कुछ देर दूध रखकर भरा कटोरा उठाकर अन्य दूध में डालते थे। वह तो यही मानता था कि बिठ्ठल जी प्रतिदिन दूध पीते थे। चौथे दिन बेहाल बालक ने दूध गर्म किया और दूध मूर्ति के सामने रखा और कमजोरी के कारण चक्कर खाकर गिर गया। फिर बैठे-बैठे अर्जी लगाने लगा तो उसी समय मूर्ति के हाथ आगे बढ़े और कटोरा उठाया। सब दूध पी लिया। नामदेव जी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। फिर स्वयं भी खाना खाया, दूध पीया। फिर तो प्रतिदिन बिठ्ठल भगवान जी दूध पीने लगे।

संत नामदेव जी के माता पिता हुए हैरान 

सात-आठ दिन पश्चात् नामदेव के माता-पिता लौटे तो सर्वप्रथम पूछा कि क्या बिठ्ठल जी को दूध का भोग लगाया? नामदेव ने कहा कि माता-पिता जी! भगवान ने तीन दिन तो दूध नहीं पीया। मुझ से पता नहीं क्या गलती हुई। मैंने भी खाना नहीं खाया। चौथे दिन भगवान ने मेरी गलती क्षमा की, तब सुबह दूध पीया। तब मैंने भी खाना खाया, दूध पीया। माता-पिता को लगा कि बालक झूठ बोल रहा है इसीलिए कह रहा है कि चौथे दिन दूध पीया। मूर्ति दूध कैसे पी सकती है? माता पिता हैरान हुए और कहा सच-सच बता बेटा, नहीं तो तुझे पाप लगेगा। बिठ्ठल भगवान जी ने वास्तव में दूध पीया है। नामदेव जी ने कहा, माता-पिता वास्तव में सत्य कह रहा हूँ। पिताजी ने कहा कि कल सुबह हमारे सामने दूध पिलाना।

यह भी पढें: हिंदी कहानियाँ (Hindi Stories)-रंक से राजा कैसे बना तैमूर लंग?

अगले दिन नामदेव जी ने बिठ्ठल भगवान की पत्थर की मूर्ति के सामने दूध रखा। मूर्ति से दो हाथ निकले कटोरा उठाया और दूध पी लिया। यही बात पिता ने सारे गांव को बताई। परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि यदि कोई भक्ति करता है और उसके ऊपर परमेश्वर कृपा नहीं करता है तो उसकी साधना व्यर्थ हो जाती है। कहने का तात्पर्य है कि भक्ति करता है और मन में अभिमान भी रखता है तो उस पर परमेश्वर की कृपा वर्षा नहीं होती। जिस कारण से उसकी भक्ति नष्ट हो जाती है।

उदाहरण :- जैसे पूर्व समय में खेती (कृषि) पूर्ण रूप से वर्षा पर निर्भर थी। जैसे किसान खेत में बीज बोता है। परिश्रम करता है, यदि परमेश्वर समय पर वर्षा न करे तो उसकी फसल व्यर्थ हो जाती है। भले ही किसान फसल बीजने के लिए हल चलाता है, बीज बोता है। पशु-पक्षी से भी रक्षा करता है। बहुत परिश्रम करता है। वर्षा न होने से उसका सर्व परिश्रम कर्म व्यर्थ गया।

कर्म न यारी देत है, भसमागीर भस्मन्त।
कर्म व्यर्थ है तास का, जे रीझै नहीं भगवन्त।।

जो खेत में बीज नहीं बोता है। फिर वर्षा हो जाती है। यदि वह मूर्ख फसल पाने की आशा लगाता है तो भी व्यर्थ है। भावार्थ है कि भक्ति कर्म भी करे और परमेश्वर का कृपा पात्र भी बना रहे तो जीव को लाभ होगा। परमात्मा में भाव बनाए रखने के लिए मूर्ति स्थापित की जाती थी। जिस जीव का जिस भी अराध्य देव में भाव होता है वह उसे उसी रूप में दर्शन भी दे देता है ताकि जीव का भक्ति और भगवान में भाव बना रहे। अधिक जानकरी के लिए पढ़ें संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित अनमोल अध्यात्मिक पुस्तक ज्ञान गंगा 

Latest articles

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...

Ambedkar Jayanti 2025 [Hindi]: सत्यभक्ति से ही दूर होगा सामाजिक भेद भाव

Last Updated on 13 April 2025 IST: Ambedkar Jayanti in Hindi: प्रत्येक वर्ष 14...

Vaisakhi (Baisakhi) Festival 2025: Know The Secret of Satnam Mantra by Guru Nanak Dev Ji

Last Updated on 13 April 2025 IST: Vaisakhi Festival 2025: Vaisakhi, a traditional harvest...
spot_img

More like this

International Mother Earth Day 2025: Know How To Empower Our Mother Earth

Last Updated on 13 April 2025 IST: International Mother Earth Day is an annual...

Preserving Our Past, Protecting Our Future: World Heritage Day 2025

Last Updated on 13 April 2025 IST: Every year on April 18, people commemorate...

Ambedkar Jayanti 2025 [Hindi]: सत्यभक्ति से ही दूर होगा सामाजिक भेद भाव

Last Updated on 13 April 2025 IST: Ambedkar Jayanti in Hindi: प्रत्येक वर्ष 14...