November 19, 2024

आध्यात्मिक पुस्तकें जो समझा रही हैं मानव जीवन का मूल उद्देश्य

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कहते हैं पुस्तक से बेहतर कोई मित्र नहीं हो सकता। अकेलेपन को भुलाने के लिए मनपसंद पुस्तक मिल जाए तो मानो सोने पर सुहागा हो जाता है। विश्वभर में लाखों-करोड़ों लेखक, कहानीकार,निबंधकार,गीतकार और कवि हुए हैं और हैं। सभी के पास अनेकों ऐसे मौके , फलसफे, एहसास, राजनीतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक अनुभव व विचार हैं जिन्हें उन्होंने कलमबद्ध किया है। हम सभी के प्रिय लेखक, कवि, कथाकार अकसर बचपन से ही तय हो जाते हैं। हम आज हर विषय में पुस्तक पढ़ कर जानकारी प्राप्त कर रहे हैं सिवाय आध्यात्मिक ज्ञान के, क्योंकि अभी तक कोई ऐसा महान पुस्तक लिखने वाला लेखक नहीं हुआ था जिसने आध्यात्मिक ज्ञान के रहस्यों पर से पर्दा उठा कर उसे सरलता से समझाकर कलमबद्ध किया हो।

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वर्तमान में ऐसे ही एक आध्यात्मिक ज्ञान से ओतप्रोत महान आध्यात्मिक लेखक हैं जिनका नाम है जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी जिनके आज विश्वभर में करोड़ों शिष्य हैं । संत रामपाल जी द्वारा लिखी पुस्तकों को पढ़कर लोगों का जीवन ही बदल गया । क्या बच्चा ,क्या बड़ा ,क्या बूढ़ा सभी संत रामपाल जी द्वारा लिखित पुस्तकें बड़े ही चाव से पढ़ते हैं।

पढ़े अनमोल पुस्तक जीने की राह

पुस्तक सेवा करने का मुख्य उद्देश्य?

आज 3 अप्रैल, 2021 को डायरेक्टर किशन कासना जी और किरण जांगरा जी ने हरियाणा पब्लिक स्कूल ,गांव दरियापुर, डिस्ट्रिक फतेहाबाद में संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तकों की सेवा का आयोजन किया । पुस्तक सेवा करने का मुख्य उद्देश्य जन-जन तक संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तकों को पहुंचाना था। श्रीमान कासना जी ने कहा, कि ” पुस्तक सेवा का उद्देश्य यह है कि प्रत्येक मानव शरीरधारी व्यक्ति को यह ज्ञान हो सके की परमात्मा कौन है ,वह कहां रहता है , पृथ्वी पर कब और क्यों आता है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों के माता-पिता कौन हैं? मोक्ष कैसे मिलता है यह सभी और अन्य प्रश्नों के उत्तर संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक ज्ञान गंगा में विस्तार से और प्रमाण सहित बताए गए हैं। पुस्तक को लेने के बाद पढ़कर कोई भी व्यक्ति आसानी से परमात्मा को पहचान सकता है तथा सतभक्ति करने का उद्देश्य समझ कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।” कलयुग का यह दौर जिसे भक्ति युग भी कहते हैं ,इस समय में परमात्मा स्वयं धरती पर अपना ज्ञान देने आए हुए हैं और परमात्मा ही घर- घर तक अपनी लिखित पुस्तक प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा रहे हैं। अंत में यही कहेंगे की समझदार को इशारा काफी होता है। आप भी संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ें और अपने जीवन का मूल उद्देश्य समझें।

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