हरियाणा की प्राचीन और प्रभावशाली महम चौबीसी खाप पंचायत ने घोषणा की है कि 12 अक्टूबर 2025 (रविवार) को सुबह लगभग 11:00 बजे, महम चौबीसी चबूतरे पर जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को उनके समाज सुधार, सत्यभक्ति, लोककल्याण और मानवता-सेवा के अतुलनीय योगदान के लिए “मानवता रक्षक” सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।
खाप के महासचिव ने बताया कि यह निर्णय संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में किए गए सामाजिक और आपदा-राहत कार्यों की सराहना में लिया गया है। उन्होंने कहा —
“संत रामपाल जी महाराज ने जो कार्य मानवता के लिए किए हैं, वे आज पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके अनुयायियों की सेवा भावना ने हजारों लोगों को राहत दी है।”
महम चौबीसी चौबारा का इतिहास
इतिहासकार बताते हैं कि महम चौबीसी चबूतरे की स्थापना मुग़ल काल के दौरान हुई थी, जब आसपास के 24 प्रमुख गांवों ने मिलकर एक संयुक्त पंचायत बनाई थी। इस चबूतरे पर बैठकर खाप प्रमुख सामूहिक निर्णय लेते थे। यह स्थान न केवल विवाद निपटाने का केंद्र रहा है बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

सदियों से यह चौबारा सामाजिक समानता, भाईचारे और न्याय का केंद्र रहा है, जहाँ जाति, धर्म या क्षेत्र के भेदभाव के बिना सबकी बात सुनी जाती थी।
महम चौबीसी खाप की परंपरा
महम चौबीसी खाप हरियाणा के सबसे प्राचीन और प्रभावशाली खाप संगठनों में से एक मानी जाती है। इसमें महम, खरक, माखरा, सिंघाना, बड़ौदा, निंदाना, सांपला जैसे प्रमुख गांव शामिल हैं। इस खाप ने समाज में न्याय और मानवता के मूल्यों को बनाए रखा है। समय-समय पर इस खाप ने सामाजिक सुधारों और मानवीय सेवा के लिए भी कदम उठाए हैं।
हरियाणा में आई बाढ़ और संत रामपाल जी महाराज की सेवा
हाल ही में हरियाणा के हिसार, भिवानी और जींद जिलों में आई भयंकर बाढ़ ने तबाही मचा दी थी। जेवरा, लितानी, सांगवान और ढाड गाव जैसे कई गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद हो गईं और लोग कई दिनों तक घरों में फंसे रहे। सरकार और प्रशासन अपनी गति से काम कर रहे थे, लेकिन हालात बेहद गंभीर थे।
इसी बीच सतलोक आश्रम बरवाला से प्रेरित होकर संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने राहत कार्य शुरू किए। मात्र 24 घंटे के भीतर ही संत रामपाल जी महाराज ने वहां बाढ़ राहत सामग्री भेजी — जिसमें मोटरें, पाइप, तार और अन्य उपकरण शामिल थे। उनके मार्गदर्शन में उनके अनुयायियों ने दिन-रात मेहनत कर हजारों एकड़ क्षेत्र से पानी बाहर निकाला।
गांववालों ने भावुक होकर कहा —
“ इतनी जल्दी तो सरकार भी मदद नहीं पहुंचा पाई। संत रामपाल जी महाराज ने जो किया, वह सच में दैवीय कार्य है। हमारे गांव को नया जीवन मिला।”
हरियाणा की ऐतिहासिक खाप पंचायत का निर्णय
संत रामपाल जी महाराज के इस मानवीय और निःस्वार्थ सेवा भाव से प्रभावित होकर महम चौबीसी खाप पंचायत ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया — संत रामपाल जी महाराज को “मानवता रक्षक” की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। महम चौबीसी के चौबारे पर आयोजित विशेष सभा में खाप के प्रमुखों ने कहा कि,
“ संत रामपाल जी महाराज ने जो कार्य किया है, वह मानवता की सच्ची सेवा का उदाहरण है। यह सम्मान पूरे समाज की ओर से है।”
सभा में क्षेत्र के विभिन्न गांवों के प्रतिनिधि, किसान और आम नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि समाज को ऐसे संतों की जरूरत है जो बिना भेदभाव मानवता की सेवा करें।
मानवता की प्रेरणा
संत रामपाल जी महाराज ने बार-बार यह संदेश दिया है कि सच्ची भक्ति वही है जो जीवों के कल्याण से जुड़ी हो। उनका ‘सतलोक आश्रम’ वर्षों से अन्नपूर्णा मुहिम, रक्तदान शिविर, शिक्षा सहायता और आपदा राहत कार्यों में अग्रणी रहा है।
महम चौबीसी खाप द्वारा दिया जाने वाला यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति को, बल्कि उस विचारधारा को समर्पित है जो समाज को मानवता के मार्ग पर आगे बढ़ा रही है।
संत रामपाल जी महाराज: समाज सुधार और सत्यभक्ति के प्रतीक
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को हरियाणा के धनाना गाँव (सोनीपत) में हुआ। वे पहले हरियाणा सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे, पर 1988 में स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से दीक्षा लेकर उन्होंने जीवन समाजसेवा और भक्ति-प्रचार को समर्पित किया।
1999 में उन्होंने सतलोक आश्रम, करौंथा (रोहतक) की स्थापना की। आज भारत और नेपाल में उनके दस से अधिक आश्रम हैं, जहाँ लाखों अनुयायी सत्यभक्ति और सेवा के मार्ग पर चल रहे हैं।
उनके प्रमुख कार्यों में दहेज-मुक्त “रमैनी” विवाह, नशा-मुक्ति अभियान, रक्तदान शिविर, गरीबों के लिए अन्नपूर्णा सेवा और जातिवाद व अंधविश्वास का उन्मूलन शामिल हैं।
उनका ‘सतज्ञान’ वेद, गीता और कबीर साहेब की वाणी पर आधारित है —
“सच्ची भक्ति प्रमाणित गुरु से दीक्षा लेकर ही संभव है। ईश्वर एक हैं — वे हैं कबीर परमात्मा।”
वे सिखाते हैं कि मानव जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य मोक्ष है — यानी परमात्मा की प्राप्ति और जन्म-मरण से मुक्ति।
सम्मान समारोह का सामाजिक महत्व
महम चौबीसी खाप द्वारा दिया जा रहा यह सम्मान जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के उस अद्वितीय योगदान की स्वीकृति है, जिन्होंने मानवता, समानता और सत्यभक्ति को जीवन का आधार बनाया।
यह सम्मान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस आध्यात्मिक क्रांति का प्रतीक है जिसे संत रामपाल जी महाराज ने अपने सतज्ञान और समाज सुधार कार्यों से पूरे देश में जागृत किया है।
उनकी शिक्षाओं ने समाज को भेदभाव, अंधविश्वास और अन्याय से मुक्त होकर सच्चे लोककल्याण की दिशा में बढ़ने की प्रेरणा दी है।
महम चौबीसी खाप का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि अब भारत का समाज उन संतों को पहचान रहा है जो बिना किसी स्वार्थ के मानवता की सेवा में समर्पित हैं।
समारोह विवरण
सम्मान समारोह: संत रामपाल जी महाराज को “मानवता रक्षक” की उपाधि
- तारीख: 12 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- समय: सुबह 11:00 बजे
- स्थान: महम चौबीसी चबूतरा, महम (रोहतक, हरियाणा)
FAQs: संत रामपाल जी महाराज को “मानवता रक्षक” की उपाधि
उ: 12 अक्टूबर 2025, सुबह 11:00 बजे, महम चौबीसी चबूतरा (महम, हरियाणा)।
उ: बाढ़ राहत, समाज सुधार, सत्यभक्ति और मानव सेवा में उनके असाधारण योगदान के लिए।
उ: दहेज-मुक्त विवाह, नशा-मुक्ति अभियान, रक्तदान शिविर, अन्नपूर्णा सेवा और जातिवाद-उन्मूलन।
उ: यह शास्त्रों से प्रमाणित सत्यभक्ति-आधारित ज्ञान है जिसके अनुसार कबीर परमात्मा ही सृष्टि के रचयिता हैं।
उ: परमात्मा की प्राप्ति द्वारा मोक्ष पाना और निर्मल जीवन जीना।