April 27, 2025

धूम्रपान छोड़ने का सबसे आसान उपाय ये है!

Published on

spot_img

धूम्रपान एक ऐसा नशा है, जो आज के मानव समाज में अपनी जड़ें मजबूत कर चुका है। विश्व की करीब एक अरब से ज्यादा आबादी इस बुराई में लिप्त है। न केवल पुरुष अपितु महिलाएं, युवा, बुजुर्ग व बच्चे भी नशे की इस लत का शिकार हो रहे हैं। धूम्रपान का शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। साथ ही आर्थिक तंगी, समाज में बिगड़े व्यवहार, घर में क्लेश जैसी अनेकों प्रकार की समस्याएं भी इस बुराई से जन्म लेती है। धूम्रपान की लत वर्तमान समाज का एक अभिन्न अंग बनकर सामने आ रही है। इस बुराई से उत्पन्न होने वाले अनेकों खतरों से पूर्णतः अवगत होने के बावजूद भी नशावृत्ति का प्रचार बड़े ही जोरों शोरों पर होता है। यह बुराई आज के समाज में पूर्णतया घर कर चुकी है। अनेकों प्रयत्न करने के बाद भी मानव इस बुराई से नहीं बच पा रहा है। धूम्रपान से छुटकारा पाने के कुछ सुझाव जानने के लिए पढ़े पूरा ब्लॉग। 

क्या है धूम्रपान?

धूम्रपान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तम्बाकू को जलाकर स्वांस के द्वारा भीतर खींचा जाता है और कुछ क्षणों पश्चात बाहर छोड़ दिया जाता है। विश्व की एक चौथाई जनसंख्या धूम्रपान की शिकार है। सरकारी और गैर सरकारी संगठन समाज को धूम्रपान मुक्त कराने के प्रयासों में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं पर सभी प्रयासों के बाद भी इस बुराई पर नियंत्रण पाना असंभव सा प्रतीत होता है। धूम्रपान मानव जीवन पर अनेकों दुष्प्रभाव डालता है। यह सब जानते हुए भी युवा मानव इसकी ओर खिंचा चला जाता है। अंततः उसके लिए धूम्रपान छोड़ना असम्भव हो जाता है।

धूम्रपान: क्षणिक सुख 

आज के आधुनिक तथा प्रतिस्पर्धात्मक समाज में युवाओं में मानसिक तनाव काफी बढ़ गया है। इस मानसिक तनाव से छुटकारा पाने के लिए, युवा अनेकों तरीके अपनाता है। कुछ युवा ही इस तनाव से निजात पा पाते हैं। अधिकांश युवा ऐसे होते है, जो इस तनाव से मुक्त होने के लिए किसी न किसी बुराई को ग्रहण कर बैठते हैं। जैसे कि शराब पीना, धूम्रपान करना इत्यादि। उन सारी बुराइयों में से सबसे ज्यादा युवा धूम्रपान की तरफ आकर्षित होते हैं। धूम्रपान के प्रति आकर्षित होने के मुख्य दो कारण है। पहला तो धूम्रपान आसानी से प्राप्त होता है। दूसरा यह कि इसमें एक बार का खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं होता।

आखिर क्यों लगती है धूम्रपान की लत?

जब एक इंसान पहली बार धूम्रपान करता है, तब उसके शरीर में डोपामाइन (dopamine) होरमोन निस्तार होता है। यह डोपामाइन सकारात्मक सुदृढ़ीकरण के एक स्रोत के रूप में कार्य करता है। एक बार नशा करने के बाद उसका दिमाग बार बार इस हार्मोन की मांग करता है। जितनी बार एक इंसान उस नशे को करता है, उतनी बार उसके शरीर में डोपामाइन हार्मोन का निस्तार होता है। धीरे धीरे समय के साथ साथ उस इंसान के शरीर की डोपामाइन की मांग बढ़ती जाती है। इसी के साथ इंसान ज्यादा से ज्यादा डोपामाइन के निस्तार के लिए, ज्यादा से ज्यादा धूम्रपान करता है। फिर धीरे धीरे उस इंसान की धूम्रपान की लत और गहरी होती जाती हैं। 

धूम्रपान है घातक

धूम्रपान मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है। धूम्रपान से 7000 हानिकारक तत्व निकलते हैं। जिनमें से 250 तत्व सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। इन्हीं हानिकारक तत्वों के कारण शरीर के तंत्रिका तंत्र पर भी असर होता है। धूम्रपान अनेको जानलेवा रोगों का कारण है। धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर, दमा, मधुमेह, प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव, आदि का जोखिम होता है। अत्यधिक धूम्रपान एक मनुष्य के लिए जानलेवा भी हो सकता है। 

परमात्मा प्राप्ति में बाधक है तम्बाकू

मनुष्य योनि में आकर ही जीव पूर्ण मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। भक्ति मार्ग में तम्बाकू सबसे अधिक बाधक है।  मनुष्य के दोनों नासा छिद्रों के मध्य में एक तीसरा रास्ता है जो छोटी सूई के नाके जितना है। जब तम्बाकू के धुँए को नासा  छिद्रों से छोड़ते हैं तो वह धुँआ उस रास्ते को बंद कर देता है। वही रास्ता ऊपर को त्रिकुटी की ओर जाता है जहाँ परमात्मा का निवास है। त्रिकुटी पर आत्मा ने परमात्मा से मिलना है, और तम्बाकू का धुँआ उसी रास्ते को बंद कर देता है। हुक्का पीने वाले हर दिन हुक्के की नली में लोहे का एक पतला-सा सरिया गज घुमाकर धुँए का जमा हुआ मैल साफ करते हैं। तम्बाकू भक्त के लिए महान शत्रु है। धूम्रपान को करने से अगले जन्म में भी प्रेत आदि योनियों में जन्म मिलता है। परम संत गरीबदास जी ने चेताया है –  

अज्ञान नींद न सो उठ जाग, पीवैं तमाखू गए फुटि भाग।।

भांग तमाखू पीवैं ही, सुरापान से हेत। 

गोसत मिट्टी खायकर जंगली बनैं प्रेत।।

गरीब, पान तमाखू चाबहीं, सांस नाक में देत। 

सो तो अकार्थ गए, ज्यों भड़भूजे का रेत।।

भांग तमाखू पीवहीं, गोसत गला कबाब। 

मोर मृग कूं भखत हैं, देंगे कहां जवाब।।

भांग तमाखू पीवते, चिसम्यों नालि तमाम। 

साहिब तेरी साहिबी, जानें कहाँ गुलाम।।

तम्बाकू की उत्पत्ति कथा

शास्त्रों में एक कथा है। एक ऋषि और एक राजा साढ़ू भाई थे। एक दिन रानी ने अपनी बहन ऋषि पत्नी को पूरे परिवार सहित भोजन का निमंत्रण भेजा। ऋषि पत्नी ने अपने पति से यह संदेश साझा किया। ऋषि ने कहा,  “तेरी बहन वैभव का जीवन जी रही है। राजा को धन और सत्ता का अहंकार है। संभावना है, वे हमें लज्जित करने को बुला रहे हों। हम भोजन पर जाएंगे तो हमें भी अपने घर उन्हे भोजन पर बुलाना पड़ेगा। उनके लिए हम वन में स्थित अपने आश्रम में अच्छी व्यवस्था नहीं कर पाएंगे। मुझे यह साढ़ू जी का षड़यंत्र लगता है। राजा आपके सामने स्वयं को श्रेष्ठ और मुझे दरिद्र दिखाना चाहता है। अतः आप राज महल में भोजन करने का विचार त्याग दें। हमारे न जाने में हित है।“

ऋषि पत्नी को अपने पति की दलील समझ नहीं आई। अन्ततः ऋषि अपने परिवार सहित निहित समय पर राज महल पहुंचे। रानी बहुमूल्य आभूषणों और वस्त्रों से सुसज्जित थी। ऋषि पत्नी साध्वी वेश में थी। राज महल के कर्मचारी मजाक उड़ा रहे थे। ऋषि परिवार लज्जित महसूस कर रहा था।

भोजन के उपरांत ऋषि पत्नी ने राजा रानी को सपरिवार अपने घर भोजन पर आने के लिए निमंत्रित किया। निश्चित दिवस पर राजा अपने परिवार और हजारों सैनिकों को लेकर ऋषि की कुटी पर पहुँचे। इतनी बड़ी संख्या में आगन्तुकों को आए देख ऋषि ने स्वर्ग के राजा इन्द्रदेव से प्रार्थना की। सर्व खाद्य कामना पूरी करने की एक कामधेनु गाय को अपने पुण्य कर्मों के संकल्प में भेजने का निवेदन किया। इन्द्र देव ने एक कामधेनु गाय के साथ लम्बा-चौड़ा तम्बू और कुछ सेवादार भी भेजे।

राजा की नियत में खोट उत्पन्न होना

तम्बू के अंदर गाय को ससम्मान लाया गया। ऋषि परिवार ने गऊ माता की आरती उतारकर अपनी मनोकामना प्रकट की। क्षण भर में छप्पन प्रकार के भोग स्वर्ग से आकर तम्बू में आने लगे। ऋषि ने राजा को भोजन करने के लिए कहा। बेइज्जती करने के दृष्टिकोण से राजा ने कहा,  “मेरी सेना भी साथ में भोजन करेगी। घोड़े चारा खाएंगे।” ऋषि ने निवेदन किया “हे राजन प्रभु कृपा से सब व्यवस्था हो जाएगी। पहले आप और आपकी सेना भोजन करे।”

राजा भोजन स्थान पर आ गए। वह स्थान सुंदर कालीन, चांदी के बर्तनों, स्वादिष्ट भोजन से सुसज्जित था। सेवादार सभी व्यवस्थाएं करने में लगे थे। ऋषि ने अन्नदेव की स्तुति की और भोजन प्रारंभ करने की प्रार्थना की। भोजन करते समय राजा शर्म महसूस कर रहा था कि उसके यहाँ तो ऋषि के मुकाबले कुछ भी व्यवस्था नहीं थी। लज्जित राजा ने ऋषि से पूछ ही लिया कि जंगल में स्वादिष्ट भोजन और सुंदर व्यवस्था बिना चूल्हे बिना कड़ाही बर्तनों को कैसे की?

ऋषि जी ने बताया, “मैंने अपने पुण्यों और भक्ति के बदले स्वर्ग से एक गाय उधार माँगी। इस गाय की विशेषता है कि जितना भोजन चाहें, ये तुरंत उपलब्ध करा देती है। राजा ने स्वयं अपनी आँखों से ऋषि के साथ सब देखा। थोड़ी देर में शेष बचा सामान तथा सेवक वापस चले गए। केवल गाय तम्बू में खड़ी रह गई। स्वर्ग वापस जाने के लिए गाय ऋषि की अनुमति की प्रतीक्षा कर रही थी। गाय की समर्थता को देखकर लालायित राजा ने ऋषि से गुहार लगाई “यह गाय मुझे दे दो। मेरी बड़ी सेना के भोजन की आसानी से व्यवस्था हो जाएगी। आपके किसी काम की नहीं है? ऋषि ने राजा को बताया, “मैंने यह गऊ माता स्वर्ग के राजा इंद्रदेव से आज के उपलक्ष्य के लिए उधार ली है। चूंकि मैं इसका मालिक नहीं हूँ, अतः मैं आपको नहीं दे सकता।” 

राजा ने क्रोधित होकर अपने सैनिकों को गाय ले जाने का आदेश दे डाला। ऋषि ने राजा की लालची नीयत में खोट आते देखकर गऊ माता से निवेदन किया, “हे गऊ माता! आप अपने लोक अपने मालिक इंद्रदेव के स्वर्ग लोक में शीघ्र लौट जाएं। तुरंत ही कामधेनु गाय तम्बू फाड़ते हुए स्वर्ग लोक की ओर ऊपर को उड़ चली। क्रोधवश राजा ने कामधेनु गाय को गिराने के लिए उसके पैर में तीर से वार किया। गाय के पैर से खून रिसकर पृथ्वी पर गिरने लगा। घायल अवस्था में गाय स्वर्गलोक में चली गई। जहाँ-जहाँ कामधेनु गाय का रक्त गिरा, वहाँ वहाँ तम्बाकू उग गया। पौधों से बीज बनकर अनेकों पौधे बन गए।

तमाखू सेवन के पाप

प्रसिद्ध कबीर पंथी संत गरीबदास जी ने कहा है कि:-

तमा + खू = तमाखू।

खू नाम खून का तमा नाम गाय। सौ बार सौगंध इसे न पीयें-खाय।।

भावार्थ है कि फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंध है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू के सेवन से गाय का खून पीने के समान पाप लगता है। 

एक अन्य वृतांत के अनुसार संत गरीबदास जी ने अपने भक्त हरलाल जी को बताया है कि तमाखू सेवन से कई प्रकार के पाप लगते हैं।

मदिरा पीवै कड़वा पानी। सत्तर जन्म श्वान के जानी।।


भावार्थ
है कि कड़वी शराब रूपी पानी जो पीता है, वह उस पाप के कारण सत्तर जन्म तक कुत्ते के जन्म प्राप्त करके कष्ट उठाता है। गंदी नालियों का पानी पीता है। रोटी ने मिलने पर विष्ठा (टट्टी) खाता है।

मांस आहारी मानवा, प्रत्यक्ष राक्षस जान।
मुख देखो न तास का, वो फिरै चौरासी खान।।

अर्थात, जो व्यक्ति माँस खाते हैं, वे तो स्पष्ट राक्षस हैं। उनका तो मुख भी नहीं देखना चाहिए यानि उनके साथ रहने से अन्य भी माँस खाने का आदी हो सकता है। इसलिए उनसे बचें। वह तो चौरासी लाख योनियों में भटकेगा।


सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं, साक्षी साहेब है जगदीशं।।

अर्थात, शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों को अन्य पाप कर्म भी भोगना होता है। उनके सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं। इस बात को मैं परमात्मा को साक्षी रखकर कह रहा हूँ, सत्य मानना।

सौ नारी जारी करै, सुरापान सौ बार।
एक चिलम हुक्का भरै, डूबै काली धार।।

तात्पर्य है, एक चिलम भरकर हुक्का पीने वाले को देने से भरने वाले को जो पाप लगता है, वह सुनो। एक बार परस्त्री गमन करने वाला, एक बार शराब पीने वाला, एक बार माँस खाने वाला पाप के कारण उपरोक्त कष्ट भोगता है। सौ स्त्रियों से भोग करे और सौ बार शराब पीए, उसे जो पाप लगता है, वह पाप एक चिलम भरकर हुक्का पीने वाले को देने से लगता है। विचार करो तम्बाकू सेवन (हुक्के में, बीड़ी-सिगरेट में पीने वाले, खाने वाले) करने वाले को कितना पाप लगेगा? इसलिए उपरोक्त सर्व पदार्थों का सेवन कभी न करो।

सारे प्रयास हो रहे विफल

यूं तो अनेकों सरकारी व गैर सरकारी संगठन इस बुराई को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। धूम्रपान से छुटकारा पाने के लिए दुनिया भर में अनेकों नशा मुक्ति केंद्र भी खोले गए है पर अंततः सभी के प्रयास विफल हो जाते हैं। इन सब प्रयासों का कोई भी असर समाज में नहीं दिखाई पड़ता है। 

सच्ची भक्ति ही है सही उपाय 

कहते हैं कि जब सभी रास्ते बंद हो जाते हैं, तब भगवान ही एक अंतिम सहारा होते हैं। जो कार्य मानव प्रयासों से असंभव सा प्रतीत होता है, वह कार्य परमात्मा की कृपा से सहज ही संभव हो जाता है। ऐसा ही कुछ वर्तमान स्थिति में होना प्रतीत हो रहा है। अनेकों लोग जब सभी प्रकार के नशे में लिप्त थे, तब एक सच्चे संत जी के प्रयास के कारण अनेकों लोग नशा मुक्त हो पाए हैं। 

कौन हैं वे सच्चे संत जिनके प्रयासों से हो रहा है समाज सुधार? 

संत रामपाल जी महाराज एक ऐसे समाज सुधारक, परोपकारी तत्वदर्शी संत है, जिनके द्वारा प्रदान की गई शास्त्रानुसार सतभक्ति से अनेकों लोग धूम्रपान, दुराचार, शराब जैसी अनेकों बुराइयों से छुटकारा पा चुके हैं। संत रामपाल जी महाराज पवित्र सदग्रंथ जैसे कि चारों वेद, गीता जी, कुरान शरीफ, गुरु ग्रंथ साहेब व बाइबल के अनुसार सतभक्ति बताते हैं, जिसके करने से स्वतः ही मानव का नशा सहज में छूट जाता है। जो नशा पहले छोड़ पाना असम्भव था, वो संत रामपाल जी की शरण में आने के बाद सहज ही छूट जाता है। 

आखिर कैसे पाएं सतभक्ति?  

संत रामपाल जी महाराज सर्व मानव समाज को सतभक्ति प्रदान कर रहे है। संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर उनकी शरण ग्रहण करें। संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक सत्संग सुनने के लिए यूट्यूब चैनल “Sant Rampal Ji Maharaj” पर जाएं। संत रामपाल जी द्वारा दिए गए तत्वज्ञान को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी गई पुस्तक “ज्ञान गंगा” या “जीने की राह” पढ़ें। 

FAQS On How To Quit Smoking (Hindi)

प्रश्न: दुनिया की कितनी आबादी धूम्रपान से ग्रसित है ?

उत्तर: विश्व की करीब एक अरब से ज्यादा आबादी इस बुराई से ग्रसित है।

प्रश्न: धूम्रपान से किस हार्मोन का निस्तार होता है?

उत्तर: धूम्रपान से डोपामाइन हार्मोन का निस्तार होता है। 

प्रश्न: वो कौन से संत हैं, जिनकी सतभक्ति से धूम्रपान से छुटकारा संभव है?

उत्तर: परम संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा प्रदान की हुई सतभक्ति से धूम्रपान से छुटकारा संभव है।

Latest articles

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...
spot_img

More like this

परमेश्वर कबीर जी द्वारा अजामिल (अजामेल) और मैनका का उद्धार

अजामेल (अजामिल) की कथा: काशी शहर में एक अजामेल (अजामिल) नामक व्यक्ति रहता था। वह ब्राह्मण कुल में जन्म था फिर भी शराब पीता था। वैश्या के पास जाता था। वैश्या का नाम मैनका था, वह बहुत सुंदर थी। परिवार तथा समाज के समझाने पर भी अजामेल नहीं माना तो उन दोनों को नगर से निकाल दिया गया। वे उसी शहर से एक मील (1.7 किमी.) दूर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे। दोनों ने विवाह कर लिया। अजामेल स्वयं शराब तैयार करता था। जंगल से जानवर मारकर लाता और मौज-मस्ती करता था। गरीब दास जी महाराजजी हमे बताते है कि

Top 20 Spiritual & Religious Leaders of India and World

Last Updated on 25 April 2025 IST: Top 20 Spiritual & Religious Leaders of...