हरियाणा के हिसार जिले के ढ़ाड गाँव में 3 सितंबर की मूसलधार बारिश ने किसानों के लिए सैंकड़ों एकड़ फसल को खतरे में डाल दिया। खेतों में पानी भर गया था, निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखता था। लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिससे गाँव वालों की आँखों के सामने आशा की किरण जग गई। यह कहानी है विश्वास की, मानवता की, और सेवा की — कि कैसे एक भरोसा, एक सही प्रार्थना और एक पूर्ण संत ने बाढ़ की त्रासदी से लोगों को बचा लिया।
तबाही की सुबह: गाँव कैसे फँसा
तीव्र बारिश और बाढ़ का कहर
3 सितंबर को अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने पूरे गाँव को जलमग्न कर दिया। खेतों में पानी भर गया, नालियाँ और ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह ठप हो गए। किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट यह था कि पानी निकालने का कोई साधन उपलब्ध नहीं था।
फसलों की सड़न और आर्थिक संकट
हालाँकि घरों से पानी धीरे-धीरे बाहर निकाला जा सका, लेकिन खेतों में खड़ी फसलें लगातार पानी में डूबी रहीं और सड़ने लगीं। किसानों की साल भर की मेहनत—बीज बोने से लेकर देखभाल तक—सब दाँव पर लग गई। समय पर सरकारी मदद न पहुँचने के कारण स्थिति और भी भयावह होती गई।
निराशा और हताशा का माहौल
गाँव के सरपंच और अन्य प्रतिनिधियों ने स्थिति का कई बार जायज़ा लिया, लेकिन उन्हें भी समाधान नज़र नहीं आया। चारों ओर तकलीफें, बिलखती आवाज़ें और परिवारों की यह चिंता गूँज रही थी कि “अब फसल नहीं बचेगी।” गाँव में निराशा और अविश्वास का गहरा साया छा गया।।
उम्मीद की किरण: विश्वास और प्रार्थना
पड़ोसी गाँवों से पहुँची उम्मीद की किरण
गुराना और बधावड़ गाँवों में संत रामपाल जी महाराज की ओर से बाढ़ पीड़ितों के लिए बड़ी सहायता भेजे जाने की ख़बर जब ढ़ाड गाँव पहुँची, तो निराशा से घिरे लोगों के मन में पहली बार उम्मीद जगी। ग्रामीणों को भरोसा हुआ कि शायद उनकी भी पुकार सुनी जा सकती है।
सरपंच और गाँववालों की पहल
दोपहर लगभग 1 बजे, गाँव के सरपंच और कुछ अन्य ग्रामीणों ने मिलकर एक प्रार्थना पत्र तैयार किया। इसमें साफ-साफ लिखा गया कि गाँव की सबसे बड़ी ज़रूरत खेतों से पानी निकालने की है। इसके लिए मोटर और पाइप की तत्काल आवश्यकता बताई गई। यह प्रार्थना पत्र संत रामपाल जी महाराज के चरणों में भेजा गया।
प्रार्थना स्वीकार होने की खबर
गाँव वालों के लिए यह क्षण किसी चमत्कार से कम नहीं था। जैसे ही प्रार्थना पत्र भेजा गया, रास्ते में ही फोन आ गया कि उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली गई है। साथ ही यह भी सूचना दी गई कि मदद अगले ही दिन गाँव में पहुँचा दी जाएगी।
चमत्कार की रात: राहत की तैयारी और आज़ का दिन



24 घंटे से भी कम में पहुँची राहत
अगले ही दिन, यानी प्रार्थना भेजे जाने के 24 घंटे से भी कम समय में, गाँव में राहत सामग्री पहुँच गई। ग्रामीणों के मन में छाया भय टूट गया। जो कार्य हफ्तों लगने की आशंका थी, वह कुछ ही घंटों में संभव हो गया। यह दृश्य गाँव के लिए उम्मीद और विश्वास की नई किरण था।
मिली सहायता सामग्री
गाँव में पहुँची सहायता सामग्री बेहद अच्छी और उपयोगी थी:
सामग्री | विवरण |
500 फीट लंबा पाइप | खेतों की ड्रेनेज के लिए उपयोगी |
4 शक्तिशाली मोटरें | 15 हॉर्सपावर की, पानी निकालने में सक्षम |
150 फीट मज़बूत तार | माँगी गई 100 फीट से अधिक, गुणवत्ता में बेहतर |
स्टार्टर व अन्य सामान | मोटर चलाने व रख-रखाव के लिए ज़रूरी उपकरण |
यह मदद न सिर्फ तत्कालीन संकट को हल करने वाली थी, बल्कि किसानों को अपनी फसलों को बचाने की ठोस उम्मीद भी दे रही थी।
गरीब परिवार के लिए मकान निर्माण
इतना ही नहीं, संत रामपाल जी महाराज ने गाँव की एक अत्यंत निर्धन बहन—निर्मला जी (पत्नी श्री जगबीर)—के लिए नया पक्का मकान बनवाने का आदेश भी दिया। इस कार्य की शुरुआत अगले ही दिन से हो गई, जिसने गाँव में सामाजिक सहयोग और करुणा की मिसाल पेश की।
गाँव वालों की प्रतिक्रिया: विश्वास और कृतज्ञता
गाँव के सरपंच ने इस मदद को एक “चमत्कार” बताया। उन्होंने भावुक स्वर में कहा कि लोग अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि इतनी जल्दी इतनी बड़ी सहायता मिल सकती है। आँसू भरी आवाज़ में उन्होंने कहा—“संत रामपाल जी महाराज ने गाँव का बहुत बड़ा सहयोग किया है।”
गाँव के अन्य लोग भी यही मानते हैं कि इतनी तीव्र, प्रभावी और पूरी तरह से मानव-केंद्रित सेवा किसी चमत्कार से कम नहीं। बाढ़ जैसी भयावह स्थिति के बीच यह सहायता गाँव वालों के लिए बचाव और आशा की किरण बनकर आई।
संत रामपाल जी है सच्चे रक्षक
हिसार के ढ़ाड गाँव की यह घटना इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि सच्ची सेवा और मानवता से की गई मदद कितनी बड़ी राहत बन सकती है। जब किसान अपनी मेहनत की फसल डूबते देख निराश हो चुके थे, तब संत रामपाल जी महाराज ने मात्र 24 घंटे के भीतर राहत पहुँचाकर साबित किया कि सही समय पर उठाया गया कदम ही वास्तविक सेवा है।
पाइप, मोटर, तार और अन्य आवश्यक सामग्री की मदद से खेतों का पानी निकाला गया और किसानों की सालभर की मेहनत सुरक्षित हो पाई। इतना ही नहीं, गाँव के एक निर्धन परिवार के लिए पक्का मकान बनवाने का आदेश देकर उन्होंने यह दर्शाया कि उनकी दृष्टि केवल तात्कालिक राहत तक सीमित नहीं, बल्कि स्थायी समाधान पर भी केंद्रित है। ढ़ाड गाँव की यह कहानी इस सच्चाई को उजागर करती है कि संत रामपाल जी महाराज का मानवीय दृष्टिकोण ही सच्ची सेवा और समाज के उत्थान का वास्तविक मार्ग है।
FAQs on ढ़ाड गाँव का चमत्कार
Q1. हरियाणा के हिसार जिले के ढ़ाड गाँव में बाढ़ कब आई थी?
3 सितंबर 2025 को मूसलधार बारिश से ढ़ाड गाँव में खेतों और घरों में पानी भर गया था।
Q2. ढ़ाड गाँव में किसानों की सबसे बड़ी समस्या क्या थी?
खेतों में भरा पानी निकालने का कोई साधन नहीं था, जिससे सैकड़ों एकड़ फसल सड़ने लगी थी।
Q3. संत रामपाल जी महाराज ने ढ़ाड गाँव की कैसे मदद की?
उन्होंने 24 घंटे के अंदर पाइप, मोटर, तार और अन्य उपकरण भेजे जिससे खेतों से पानी निकाला जा सका।
Q4. क्या ढ़ाड गाँव में सिर्फ राहत सामग्री दी गई थी?
नहीं, संत रामपाल जी महाराज ने गाँव के एक गरीब परिवार के लिए नया पक्का मकान बनवाने का आदेश भी दिया।