Gyanvapi Masjid News Update | बनारस यानी काशी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर विश्व विख्यात है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि असल मंदिर पास ही स्थित ज्ञान वापी मस्जिद को बनाते समय तोड़ दिया गया था। इसलिए समय समय पर ज्ञानवापी विवाद सामने आता रहता है। वर्तमान में कुछ महिलाओं द्वारा दायर की गई सर्वे करने की याचिका से ये विवाद फिर से गरमा गया है। आइए जानते है पूर्ण जानकारी-
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid Controversy) | मुख्य बिंदु
- आचार्य अशोक द्विवेदी ने मंदिर परिसर को लेकर बताये तथ्य।
- सर्वे के लिए एडवोकेट कमिशनर नियुक्त करने की मांग।
- मस्जिद में वीडियोग्राफी करवाने की मांग।
- सर्वे के लिए अजय कुमार के साथ दो नए वकील कमिशनर हुए नियुक्त।
- 17 मई से पहले दोबारा होगा सर्वे।
- मस्जिद के प्रत्येक भाग में होगा सर्वे सम्पन्न।
- जिला प्रशासन, गृह मंत्रालय, पुलिस कमिशनर करेंगे सर्वे की मॉनिटरिंग।
- मस्जिद के रकबा नंबर 9130 के सम्पूर्ण भाग में होगा सर्वे।
कैसे गरमाया ज्ञानवापी मस्ज़िद मामला?
वर्ष 2021 अगस्त में ज्ञानवापी मस्ज़िद पर याचिका दायर कर वहां पर कुछ महिलाओं द्वारा सर्वेक्षण करने की मांग की गई थी और उसी वजह से इस मस्जिद को लेकर विवाद गरमाया हुआ है।
ज्ञानवापी मस्ज़िद का इतिहास क्या है? (History of Gyanvapi Masjid)
ऐसा माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्ज़िद वास्तव में एक हिन्दू शिवमंदिर था, जिसको मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा बार बार नष्ट किया जाता रहा। टोडरमल ने नारायण भट्ट के साथ शिव मंदिर को स्थापित किया था परंतु 1669 के आसपास, मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर के विध्वंस का आदेश दिया और उसके स्थान पर ज्ञान वापी मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया।
1809 में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का घटनाक्रम
ब्रिटिश राज में भी यह विवाद चलता रहा जब हिंदू समुदाय द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच “तटस्थ” स्थान पर एक मंदिर बनाने के प्रयास से तनाव बढ़ गया। उसी समय मे होली और मुहर्रम का त्योहार एक ही दिन पड़ गया और मौज-मस्ती करने वालों का टकराव सांप्रदायिक दंगे में बदल गया। मुस्लिम भीड़ ने एक गाय (हिंदुओं के लिए पवित्र) को मौके पर ही मार डाला, और उसका खून कुएं के पवित्र पानी में फैला दिया। ज्ञानवापी में आग लगा दी गई और उसे गिराने का प्रयास किया गया। ब्रिटिश प्रशासन द्वारा दंगे को कुचलने से पहले, दोनों पक्षों ने हथियार उठा लिए, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें और संपत्ति की क्षति हुई।
Gyanvapi Masjid News Update | क्या है वर्तमान स्थिति?
1984 की शुरुआत से, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादियों के साथ मिलकर ज्ञानवापी सहित हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करके निर्मित मस्जिदों के स्थलों को पुनः प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया। दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद तनाव बढ़ गया और ज्ञानवापी में इसी तरह की घटना को रोकने के लिए लगभग एक हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
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1998 में मस्जिद प्रबंधन समिति ने अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले जिसमे मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सफलतापूर्वक चुनौती दी जिसने कार्यवाही पर रोक लगा दी। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति (अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद) ने प्रतिवादी के रूप में कार्य करते हुए दावा किया कि औरंगजेब ने मस्जिद के निर्माण के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया था ये गलत है।
नए विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
बता दें कि 5 अगस्त, 2021 को कुछ महिलाओं ने वाराणसी लोकल कोर्ट में एक याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर समेत कई विग्रहों में पूजा करने की अनुमति देने और सर्वे कराने की मांग की थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने यहां सर्वे करने की अनुमति दी थी। हालांकि, जब टीम सर्वे करने पहुंची तो वहां मुस्लिम पक्ष के लोगों ने उन्हें मस्जिद की वीडियोग्राफी करने से रोक दिया जिससे ये मामला फिर से सुर्खियों में आ गया।
अप्रैल, 2022 में कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और इसी आधार पर अब ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण में सम्पूर्ण जगह की वीडियोग्राफी किया जाना है।
कमिश्नर बदलने की उठी मांग
कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के सर्वे के लिए कमिश्नर को नहीं बदला जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुबह 8 से लेकर 12 बजे तक मस्जिद का सर्वे किया जाएगा जिससे ये पता चल सके कि वास्तव में यहां हिन्दू देवी देवताओं के अवशेष मौजूद हैं या नहीं। इस दौरान कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ सहायक कमिश्नर विशाल और अजय प्रताप भी रहेंगे। कोर्ट ने इस मामले की सर्वे रिपोर्ट 17 मई तक मांगी है।
आध्यत्मिक ज्ञान के अभाव में हो रहा है विवाद
हैरानी की बात है कि एक जगह और पत्थर को लेकर किस प्रकार लगभग सभी धार्मिक स्थान विवादों में रहते है जबकि इन जगहों का लक्ष्य तो शांति स्थापना का होना चाहिए। लेकिन अज्ञानतावश श्रद्धालु भगवान प्राप्ति की चाह में नेताओं तथा झूठे धार्मिक गुरुओं की मानकर झगड़ते रहते हैं।
वर्तमान में इस तरह के प्रत्येक विवाद को केवल जगतगुरू संत रामपाल जी महाराज के तत्व ज्ञान से खत्म किया जा सकता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी अपनी वाणी में बताते हैं:-
पत्थर पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहाड़।।
जीव हमारी जाती है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।
वही मोहम्मद वही महादेव, वही आदम वही ब्रह्मा।
कबीर दूसरा कोई नही, देख आपने घर मा ।
अर्थात जाति आदि में न पड़कर पूर्ण परमात्मा की शरण ग्रहण कर सतभक्ति करना ही मनुष्य जीवन का मुख्य उद्देश्य है। जो पूर्ण संत होगा वो समाज में व्याप्त जातिवाद को मिटाकर एक पंथ चलाएगा तथा शांति स्थापित कर श्रद्धालुओं को सत्य मार्ग की तरफ अग्रसर करेगा। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल।