हरियाणा के हिसार जिले का सुलखनी गांव हाल ही में आई भयंकर बाढ़ से त्रस्त था, जहां 60-70% क्षेत्र जलमग्न हो गया। फसलें नष्ट, पीने का पानी दुर्लभ, और दैनिक जीवन ठप। स्थानीय और सरकारी प्रयास नाकाम रहे, तब पंचायत ने YouTube पर संत रामपाल जी महाराज के राहत कार्य देखकर उनसे मदद मांगी। सरपंच के नेतृत्व में बरवाला में प्रार्थना पत्र सौंपा गया। मात्र तीन दिन में संत जी ने राहत सामग्री भेजी, जो न केवल तात्कालिक सहायता थी, बल्कि स्थायी समाधान भी। यह लेख बताता है कि कैसे सुलखनी की तकदीर बदली।
बाढ़ का तांडव और सुलखनी की त्रासदी
हिसार जिले (बरवाला या हिसार तहसील) के सुलखनी गांव में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। गांव का 60-70% हिस्सा पानी में डूब गया, जिससे खेत, बूस्टिंग स्टेशन, और श्मशान घाट तक जलमग्न हो गए। स्वच्छ पानी की कमी और स्कूलों का बंद होना ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती था। किराए की जमीन पर खेती करने वाले किसानों की फसलें नष्ट हो गईं, जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई। मवेशियों के लिए चारा कम पड़ा, और डिस्पेंसरियों के बंद होने से स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गईं। यह संकट केवल किसानों का नहीं, बल्कि 36 बिरादरियों का था।
मदद की खोज और बरवाला में प्रार्थना
स्थानीय प्रयासों के विफल होने पर ग्रामीणों ने यूट्यूब पर संत रामपाल जी महाराज के बाढ़ राहत वीडियो देखे। प्रेरित होकर, सरपंच के नेतृत्व में पंचायत बरवाला पहुंची और संत जी को प्रार्थना पत्र सौंपा। पत्र में 15 HP मोटर और 7000 फुट 8 इंची पाइप की मांग थी। ग्रामीणों को उम्मीद नहीं थी कि उनकी मांग इतनी जल्दी पूरी होगी, क्योंकि वे हफ्तों से इंतजार कर रहे थे।

तुरंत स्वीकृति और 3 दिन में डिलीवरी
संत रामपाल जी ने प्रार्थना तुरंत स्वीकार की। तीन दिन के भीतर, ट्रैक्टरों का काफिला सुलखनी पहुंचा, जिसमें 15 HP किर्लोस्कर मोटर, 7000 फुट पाइप, स्टार्टर, केबल, फेविकोल, और नट-बोल्ट शामिल थे। सामग्री की गुणवत्ता देखकर ग्रामीण संतुष्ट हुए। सेवादारों ने बताया कि संत जी का आदेश है कि जरूरत के अनुसार पर्याप्त सामान दिया जाए, ताकि कोई कमी न रहे।
सामग्री विवरण तालिका
| सामग्री का नाम | मात्रा / विवरण |
| किर्लोस्कर मोटर | 15 HP |
| पाइप | 7000 फुट 8 इंची |
| स्टार्टर | आवश्यकतानुसार |
| केबल | आवश्यकतानुसार |
| फेविकोल | पर्याप्त मात्रा |
| नट-बोल्ट | पर्याप्त मात्रा |
पारदर्शी और व्यापक सेवा अभियान
संत रामपाल जी का राहत अभियान विशाल और पारदर्शी है। उनका निर्देश है, “हमें दिखावा नहीं, जमीनी काम करना है।” अब तक 200 से अधिक गांवों में सहायता पहुंच चुकी है। सुलखनी में, पंचायत को निर्देश दिया गया कि सामग्री का उपयोग जल्दी करें, ताकि अगली फसल बोई जा सके। चेतावनी दी गई कि यदि समय पर पानी नहीं निकला, तो भविष्य में सहायता नहीं मिलेगी। पारदर्शिता के लिए, तीन वीडियो बनाए जाएंगे:

- बाढ़ग्रस्त गांव का ड्रोन वीडियो।
- पानी निकलने के बाद का वीडियो।
- फसलें लहराने का वीडियो।
ये वीडियो सतलोक आश्रमों में दिखाए जाएंगे, ताकि दानदाताओं को भरोसा हो कि उनका योगदान सही जगह पहुंच रहा है।
स्थायी समाधान और ग्रामीणों का आभार
यह सहायता केवल अस्थायी नहीं थी। ग्रामीणों को पाइप और मोटर जमीन में दबाने को कहा गया, ताकि भविष्य में बाढ़ का पानी तुरंत निकाला जा सके। इसे “अनमोल उपहार” बताया गया। सरपंच और पंचायत ने संत जी के निर्देश स्वीकार किए और सामान का उपयोग शुरू किया। ग्रामीणों ने गहरा आभार जताया। सरपंच ने कहा, “संत जी को कोटि-कोटि नमन।” एक ग्रामीण ने कहा, “संत जी दूसरे कबीर दास हैं।” दूसरों ने उन्हें “भगवान समान” बताया।
संत रामपाल जी महाराज की अनमोल सेवा का उदाहरण
संत रामपाल जी महाराज की सेवा केवल सामग्री तक सीमित नहीं-यह करुणा और दूरदर्शिता का प्रतीक है। सुलखनी की कहानी उनके मानवता के प्रति समर्पण को दर्शाती है। यह “अनमोल उपहार” गांव को पीढ़ियों तक लाभ देगा।
संत रामपाल जी महाराज के यूट्यूब वीडियो ने कई समुदायों को प्रेरित किया है। उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही मानवतावादी कार्यों के लिए एक मिसाल है।



