गिरावड़ (झज्जर), हरियाणा। यह कहानी केवल बाढ़ राहत की नहीं है, बल्कि उस अभूतपूर्व विश्वास और सम्मान की है, जिसने हरियाणा के झज्जर जिले के गिरावड़ गाँव को उत्सव मनाने पर विवश कर दिया। यह दास्तान है एक ऐसी विपदा की, जहाँ पिछले तीन-चार वर्षों से पानी की समस्या हर साल कहर बनकर टूट रही थी। जब ग्रामीणों को प्रशासन और नेताओं से केवल आश्वासनों और नाउम्मीदी के सिवा कुछ नहीं मिला, तब उन्होंने अपनी अंतिम आस संत रामपाल जी महाराज से लगाई।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा की गई इस अद्वितीय सहायता ने न केवल गाँव की तात्कालिक समस्या का समाधान किया, बल्कि एक ऐसा स्थायी समाधान प्रदान किया जिसकी ग्रामीणों ने कल्पना भी नहीं की थी। इस अवसर पर पूरे गाँव ने ढोल-नगाड़ों और नृत्य के साथ संत रामपाल जी महाराज का ऐतिहासिक स्वागत किया।
ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज से कैसे मदद के लिए संपर्क किया
जब गिरावड़ गाँव के निवासी बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त थे और उन्हें हर दिशा से केवल निराशा ही हाथ लग रही थी, तब ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज को अपनी आखिरी उम्मीद के तौर पर देखा। ग्रामीणों की इस पीड़ा को समझते हुए, सरपंच सोनू जी के नेतृत्व में पूरी पंचायत ने एक संगठित प्रयास करने का निर्णय लिया।
निराशा के इन क्षणों में, पूरी पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज के समक्ष अपनी व्यथा रखने के लिए एक प्रार्थना पत्र (Application) प्रस्तुत किया। यह प्रार्थना पत्र केवल कुछ सामग्री की माँग नहीं थी, बल्कि यह गाँव की आखिरी उम्मीद का दस्तावेज था, जिसे उन्होंने पूर्ण विश्वास के साथ संत रामपाल जी महाराज को सौंपा था।
पंचायत द्वारा प्रार्थना पत्र में किया गया था 10 हॉर्स पावर मोटर और 13,000 फुट पाइप का अनुरोध
गाँव की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। जैसा कि सरपंच सोनू जी ने बताया, पूरे हरियाणा प्रदेश में बाढ़ की समस्या व्याप्त थी और भारी बारिश के कारण हर कोई दुखी था। इस आपदा से निपटने के लिए गाँव को तत्काल और बड़े पैमाने पर संसाधनों की आवश्यकता थी।
पंचायत द्वारा संत रामपाल जी महाराज को सौंपे गए प्रार्थना पत्र में गाँव से पानी की निकासी के लिए विशिष्ट उपकरणों का अनुरोध किया गया था। इसमें 10 हॉर्स पावर की मोटरों और 13,000 फुट पाइप की मदद मांगी गई थी। यह अनुरोध गाँव को जलमग्न होने से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम था।
संत रामपाल जी महाराज ने अनुरोध से ढाई-तीन गुना अधिक सामग्री देकर किया ग्रामीणों को चकित
संत रामपाल जी महाराज ने ग्रामीणों की प्रार्थना को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उनकी अपेक्षा से कहीं अधिक सहायता प्रदान की। एक ग्रामीण ने भाव-विभोर होकर बताया, “हम मांगने में भी छोटे पड़े जितना हमने मांगा उतना ही दे दिया।”
संत रामपाल जी महाराज ने ग्रामीणों को केवल वही नहीं दिया जो उन्होंने माँगा था, बल्कि वे वस्तुएँ भी प्रदान कीं जिनका उन्होंने उल्लेख भी नहीं किया था। ग्रामीण के अनुसार, “ये जो स्टार्टर… ये जो सिस्टम था ये तो हमने लिखा भी नहीं, उन्होंने एक चीज मतलब कुछ भी छोड़ी कोनी… सब दे दिया।”
किसानों को इस संकट की घड़ी में “पूरा सामान ए टू जेड” प्रदान किया गया। ग्रामीणों ने इसे संत रामपाल जी महाराज की अपार दया बताते हुए कहा, “ये संत रामपाल जी महाराज की दया है कि इतना ध्यान रखते हैं वो किसानों का।” इस अभूतपूर्व सहायता को “वाकई काबिले तारीफ” बताया गया।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की गई सहायता सामग्री का विवरण
| मांगी गई सामग्री | संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की गई सामग्री | अतिरिक्त सामग्री |
| 10 हॉर्स पावर की मोटरें (Motors of 10 HP) | तीन मोटरें (Three Motors) | स्टार्टर और अन्य संपूर्ण सिस्टम (Starters and other complete systems) |
| 13,000 फुट पाइप (13,000 ft Pipe) | 13,000 फुट पाइप (13,000 ft Pipe) | “पूरा सामान ए टू जेड” (A to Z materials) |
| – | – | अनुरोध से “ढाई-तीन गुना अधिक” सामग्री |
“गुरु जी ने मौज कर दी”: ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़ों और नृत्य के साथ किया संत रामपाल जी महाराज का ऐतिहासिक स्वागत
जैसे ही यह सहायता सामग्री गाँव में पहुँची, ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरे गाँव ने इस अवसर को एक उत्सव में बदल दिया। संत रामपाल जी महाराज के नाम के जयकारों से आकाश गूंज उठा। इस ऐतिहासिक स्वागत में लोग भक्ति-भाव से नृत्य भी कर रहे थे।
एक ग्रामीण ने अपनी खुशी इन शब्दों में व्यक्त की: “पूरा गांव इसलिए आया हुआ कि गुरु जी ने हमारे गांव में मौज कर दी भाई। बाढ़ का पानी खत्म हो जाएगा। किसान के लिए गुरु जी खड़े हैं।” गाँव वालों ने एक स्वर में “बोलो संत रामपाल महाराज की जय” के नारे लगाए।

ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज को “किसानों का मसीहा” की उपाधि दी। एक भक्त ने कहा, “मैं तो यूं कहूंगा कि बंदी छोड़ महाराज जी किसानों के मसीहा है।” अन्य ने उनकी तुलना कबीर भगवान से करते हुए कहा, “ये वे कबीर भगवान हैं जो पूरी सृष्टि को चूगा पानी देते हैं,” और यहाँ कल्कि से तुलना करके कहा कि “कल्कि अवतार का जो नाम है ना वो यही तो है।”
दिवाली पर मिली “डबल खुशी”, ग्रामीणों ने कहा – “एक दीवा गुरुजिया के नाम का भी जलाएंगे”
यह सहायता उस दिन पहुँची जब पूरा देश दिवाली का त्योहार मना रहा था, जिससे गाँव वालों की खुशी दोगुनी हो गई। एक ग्रामीण ने कहा, “दिवाली के तौर पे म्हारा तो डबल खुशी होगी आज।”
इस अभूतपूर्व उपहार के लिए आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “एक तो घी के दीवे और भगवान राम के चला, एक गुरुजिया के नाम की भी चलाएंगे।” यह क्षण उनके लिए इतना भावपूर्ण था कि वे केवल यही कह सके, “कती मौज कर दी भाई गदगद कर दी।”
पगड़ी: सम्मान, विश्वास और आस्था का प्रतीक
इस अवसर पर हरियाणा की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी देखने को मिला। ग्रामीणों ने संत रामपाल जी महाराज के प्रति अपना सर्वोच्च सम्मान ‘पगड़ी’ के माध्यम से व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि यह पगड़ी “एक सम्मान का और विश्वास का और आस्था का प्रतीक है।” ग्रामीणों के लिए, “इससे बड़ा हमारे पास कोई सम्मान नहीं है,” और यह सम्मान उन्होंने संत रामपाल जी महाराज को अर्पित किया।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा स्थायी समाधान और भविष्य के लिए आश्वासन
गिरावड़ गाँव की यह घटना केवल एक बाढ़ राहत कार्य नहीं है, बल्कि यह उस गहरे विश्वास की कहानी है जिसने एक पूरे गाँव को नाचने पर मजबूर कर दिया। संत रामपाल जी महाराज ने न केवल उनकी वर्तमान कठिनाई को दूर किया, बल्कि एक स्थायी समाधान देकर उन्हें भविष्य के लिए भी आश्वस्त कर दिया है।
अब उन ग्रामीणों को पूरा विश्वास है कि वे संत रामपाल जी महाराज की दया से जल्द ही इस विपदा से पूरी तरह उबर जाएंगे।



