हिसार, हरियाणा: पिछले चार महीनों से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आए हिसार जिले के चानौत गांव के निवासियों के लिए जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज एक उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं। उनकी संस्था द्वारा संचालित अन्नपूर्णा मुहिम के तहत की गई त्वरित और व्यापक सहायता ने न केवल गांव को जलभराव की गंभीर समस्या से निजात दिलाई है, बल्कि भविष्य की सुरक्षा का एक स्थायी समाधान भी प्रदान किया है। जब सरकारी तंत्र और प्रशासन से कोई ठोस मदद नहीं मिली, तब संत रामपाल जी महाराज के हस्तक्षेप ने हजारों किसानों और ग्रामीणों के जीवन में एक नया सवेरा लाया है।

यह कहानी केवल राहत सामग्री पहुंचाने की नहीं, बल्कि मानवता, करुणा और एक दूरदर्शी संत के अपने किसानों के प्रति गहरे दर्द को समझने की है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे गांव ने उनके चरणों में सम्मान की पगड़ी अर्पित कर अपनी असीम कृतज्ञता व्यक्त की।
चार महीने का जल प्रलय: चानौत गांव की डूबी उम्मीदें
हरियाणा के हिसार जिले की हांसी तहसील में स्थित चानौत गांव के लिए पिछले चार महीने किसी दुःस्वप्न से कम नहीं थे। लगातार जलभराव ने गांव के खेतों और बस्तियों को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले लिया था। स्थिति इतनी भयावह थी कि किसानों की वर्तमान फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी और खेतों में खड़े पानी के कारण अगली गेहूं की फसल की बिजाई की उम्मीद भी टूटती नजर आ रही थी। ग्रामीण पिछले 120 दिनों से इस आपदा से जूझ रहे थे, उनकी आजीविका का एकमात्र साधन उनकी आंखों के सामने नष्ट हो रहा था।

इस संकट ने न केवल आर्थिक तंगी पैदा की, बल्कि पशुओं के लिए चारे का संकट, स्कूलों में पानी भरने से बच्चों की शिक्षा में बाधा और डिस्पेंसरी बंद होने से स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव भी पैदा कर दिया था। गांव का हर व्यक्ति इस प्राकृतिक आपदा के सामने खुद को असहाय और लाचार महसूस कर रहा था।
जब हर तरफ से मिली निराशा, संत रामपाल जी बने एकमात्र सहारा
संकट की इस घड़ी में, ग्राम पंचायत ने स्थानीय प्रशासन से लेकर डीसी और एसडीएम तक हर संभव दरवाजे पर दस्तक दी, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ। जब हर तरफ से निराशा हाथ लगी, तब सरपंच प्रतिनिधि श्री हिमांशु जी के नेतृत्व में पूरी पंचायत ने संत रामपाल जी महाराज से मदद मांगने का ऐतिहासिक फैसला किया। उन्होंने बरवाला स्थित आश्रम जाकर संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों को एक प्रार्थना पत्र सौंपा, जिसमें गांव की गंभीर स्थिति का विस्तृत वर्णन किया गया था।
इस पत्र में, पंचायत ने गांव से पानी निकालने के लिए चार बड़ी 10 हॉर्स पावर (HP) की मोटरों और 8000 फुट लंबे 8 इंची पाइप की मांग की। यह कदम उनकी अंतिम आशा थी, और उन्हें विश्वास था कि एक संत ही किसानों के इस दर्द को समझ सकता है, क्योंकि संत रामपाल जी महाराज स्वयं एक किसान परिवार से आते हैं और भूमि की पीड़ा को भली-भांति समझते हैं।
प्रार्थना हुई स्वीकार: गांव पहुंची राहत सामग्री की विशाल खेप
ग्रामीणों को आश्चर्यचकित करते हुए, उनकी प्रार्थना पर तत्काल सुनवाई हुई। संत रामपाल जी महाराज ने अपने अनुयायियों के माध्यम से प्राप्त हुए प्रार्थना पत्र पर तुरंत कार्रवाई करने का आदेश दिया। जिस सहायता के लिए ग्रामीण महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे, वह महज कुछ ही दिनों के भीतर गांव के दरवाजे पर पहुंच गई। राहत सामग्री से भरे ट्रकों का एक विशाल काफिला जब चानौत गांव पहुंचा, तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इस सामग्री में मांग के अनुसार चार शक्तिशाली 10 एचपी की मोटरें और 8000 फुट उच्च गुणवत्ता वाले पाइप शामिल थे। विशेष बात यह थी कि संत रामपाल जी महाराज ने हर छोटी बड़ी जरूरत का ध्यान रखा था। मोटरों के साथ चार स्टार्टर, केबल, पाइपलाइन जोड़ने के लिए आवश्यक नट बोल्ट, कपलिंग और फेविकोल तक उपलब्ध कराया गया था, ताकि ग्रामीणों को एक भी वस्तु बाहर से न लानी पड़े। यह समग्र दृष्टिकोण उनकी सेवा की गहराई और ईमानदारी को दर्शाता था।
सिर्फ राहत नहीं, भविष्य की सुरक्षा का वरदान
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य केवल तात्कालिक राहत प्रदान करना नहीं था, बल्कि समस्या का स्थायी समाधान करना था। उनके अनुयायियों ने गांव में एक निवेदन पत्र पढ़कर सुनाया, जिसमें भविष्य के लिए एक स्पष्ट और दूरदर्शी योजना का उल्लेख था। पत्र में कहा गया था कि यह राहत सामग्री गांव को एक वरदान के रूप में दी जा रही है और इसे भविष्य में बाढ़ की समस्या से बचने के लिए जमीन में स्थायी रूप से दबा देना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि दी गई सामग्री से समय पर पानी नहीं निकाला गया और गेहूं की बिजाई नहीं हुई, तो ट्रस्ट भविष्य में गांव की मदद नहीं करेगा। साथ ही, यह आश्वासन भी दिया गया कि यदि और सामान की आवश्यकता हो, तो वे पुनः प्रार्थना कर सकते हैं।
खुशी से झलके आंसू: सम्मान की पगड़ी भेंट कर माना आभार
इस अभूतपूर्व मदद को पाकर चानोट के ग्रामीण भावविभोर हो गए। उनके लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। सरपंच प्रतिनिधि हिमांशु जी ने कहा, “हम पूरी उम्र संत रामपाल जी महाराज और उनकी टीम के आभारी रहेंगे। उन्होंने हमारी उस घड़ी में मदद की जब किसी ने हमारी नहीं सुनी।” अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए, पूरी ग्राम पंचायत और ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से एक अनूठा कदम उठाया। उन्होंने सम्मान के प्रतीक के रूप में एक “पगड़ी” संत रामपाल जी महाराज के चरणों में अर्पित करने के लिए भेंट की।
यह पगड़ी केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि उस गहरे सम्मान, विश्वास और कृतज्ञता का प्रतीक थी जो चानोट का हर निवासी अपने दिल में महसूस कर रहा था। उन्होंने संकल्प लिया कि जब भी संत रामपाल जी महाराज को उनकी आवश्यकता होगी, पूरा गांव उनके लिए हाजिर रहेगा। यह क्षण अत्यंत भावुक था और इसने गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र रिश्ते को एक नई ऊंचाई प्रदान की। आज, चानौत गांव बाढ़ के पानी से मुक्त होकर एक नई फसल की तैयारी कर रहा है, और इसका पूरा श्रेय संत रामपाल जी महाराज की करुणा और उनकी अन्नपूर्णा मुहिम को जाता है।