हरियाणा के हिसार जिले के बाडो पट्टी गांव में इस वर्ष प्रकृति ने ऐसी विनाश लीला रच दी कि धरती का हर कोना, हर घर और हर खेत पीड़ा का प्रतीक बन गया। जलभराव ने गांव को मानो एक स्थायी झील में तब्दील कर दिया था। खेतों की मेड़ों पर लहराता पानी, गलियों में टूटती दीवारें और सूनी आंखों से क्षितिज निहारते किसान यह दृश्य उस गांव का था जो कभी हरियाणा की उपजाऊ भूमि का प्रतीक माना जाता था। लगातार कई महीनों से गांव की लगभग 60 से 70 प्रतिशत कृषि भूमि पानी में डूबी रही। श्मशान घाट तक में पानी भर गया। न पीने के लिए साफ पानी बचा, न खेती की उम्मीद। बाजरा, कपास सब कुछ जल में समा गया। मकानों में दरारें पड़ गईं, पशुओं का चारा समाप्त हो गया और लोगों के चेहरों पर उम्मीद का नामोनिशान नहीं रहा।
एक स्थानीय किसान के अनुसार, तीन फुट से ज्यादा पानी खेतों में जमा है। फसलें सड़ चुकी हैं, पशुओं के लिए दाना नहीं, और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली। सभी लोग निराश, हताश और नाउमीद थे।
प्रार्थना पत्र लेकर संत रामपाल जी महाराज के पास पहुँचे
Haryana Flood: प्रशासनिक मदद की प्रतीक्षा में गांव के लोग कई बार गुहार लगा चुके थे, लेकिन जवाब केवल औपचारिकता बनकर रह गया। अंततः ग्राम पंचायत ने एक असाधारण निर्णय लिया उन्होंने अपनी प्रार्थना मनुष्य से नहीं, बल्कि संत शिरोमणि रामपाल जी महाराज जी से की। बरवाला तहसील में जाकर ग्राम सरपंच पवन कुमार शास्त्री जी ने संत रामपाल जी महाराज के चरणों में निवेदन किया कि “गांव डूब रहा है, फसल खत्म हो चुकी है, कृपा करें।”
उनकी मांग थी, एक 15 हॉर्सपावर की मोटर और 6500 फीट लंबी 8 इंची पाइप लाइन ताकि गांव का पानी बाहर निकाला जा सके।
केवल दो दिन में पहुँची सहायता, सेवा का अद्भुत उदाहरण
Haryana Flood: गांववालों को उम्मीद नहीं थी कि उनकी आवाज इतनी शीघ्र सुनी जाएगी। मगर, संत रामपाल जी महाराज की सेवा-परंपरा किसी प्रशासनिक प्रक्रिया पर नहीं, बल्कि करुणा और संकल्प पर टिकी है क्योंकि वे समर्थ भगवान कबीर परमेश्वर के भेजे हुए संत हैं। मात्र दो दिन के भीतर राहत सामग्री से भरे वाहन गांव बाडो पट्टी पहुंचे, एक बड़ी 15 एचपी मोटर, 6500 फीट पाइप, स्टार्टर, केबल, नट-बोल्ट, फेविकोल और हर छोटा-बड़ा उपकरण ताकि ग्रामीणों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
सेवादारों के साथ जब ट्रक गांव की गलियों में पहुंचा, तब तक सूरज अस्त होने को था, लेकिन गांव में पहली बार महीनों बाद प्रकाश फैला, उम्मीद का प्रकाश। गांव के बच्चे नंगे पांव दौड़ते हुए ट्रक के चारों ओर इकट्ठा हुए, महिलाएं छतों से झांकती रहीं, और बुजुर्गों की आंखों से आंसू छलक पड़े। “ये तो भगवान के लोग हैं,” किसी वृद्ध ने कहा और यह भावना पूरे गाँव में गूँज उठी।
‘लोक दिखावा नहीं, जमीनी स्तर पर सेवा’- संत रामपाल जी का सिद्धांत
Haryana Flood: संत रामपाल जी महाराज का आदेश स्पष्ट था, “हमें दिखावे की नहीं, ज़मीनी सेवा करनी है।” उनकी टीम ने हर संभव गांव में पहुंचकर न केवल राहत सामग्री दी, बल्कि उसकी जिम्मेदारी भी साथ सौंपी। हर राहत सामग्री के साथ एक निवेदन पत्र दिया गया जिसे सेवादार ने पढ़कर सुनाया कि यह मदद तभी सार्थक होगी जब आप सब मिलकर पानी निकालने का संकल्प निभाएंगे। यदि गांव से पानी निर्धारित समय में नहीं निकला, तो आगे भविष्य में कोई सहायता नहीं दी जाएगी।

प्राकृतिक आपदाएँ कहीं भी आ सकती हैं ऐसे में सरकार भी जो कुछ करती है वह पर्याप्त नहीं होता है। यदि धार्मिक संस्थाएं आगे आयें तो इस आपदा से निपटा जा सकता है। कबीर भगवान की दया से यह सारा सामान स्थायी रूप से गांव वालों को दिया जा रहा है, जिसे वह उपयोग के पश्चात अपनी ज़मीनों में दबा लें ताकि भविष्य में कभी ऐसी आपदा आने पर निपटा जा सके। संत रामपाल जी महाराज जी ने यह कहा कि यदि और भी संसाधन लगते हैं तो दिए जाएँगे लेकिन समय से पानी निकालना और गेहूँ की बुवाई करना आवश्यक है।
संत रामपाल जी महाराज का यह दृष्टिकोण सेवा को दान नहीं, साझेदारी बनाता है, जहां मदद लेने वाला समुदाय भी उस परिवर्तन का भागीदार बनता है। गांव की तीन अवस्थाओं की वीडियो, पहले जब गांव डूबा था, फिर जब पानी निकला, और अंततः जब फसल लहराई, ये सब आश्रमों में समागम के दौरान प्रदर्शित की जाएँगी ताकि अनुयायियों को दिखाया जा सके कि उनके अर्पण से वास्तव में धरती पर परिवर्तन हो रहा है।
300 से अधिक गांवों तक पहुँची सेवा
Haryana Flood: बाडो पट्टी अकेला गांव नहीं था। संत रामपाल जी महाराज का बाढ़ राहत अभियान अब तक ३00 से अधिक गांवों तक पहुंच चुका है। हर गांव में सेवा की यही प्रणाली, पाइपलाइन, मोटर, विद्युत उपकरण और आवश्यक साधन, निःशुल्क उपलब्ध कराए गए। किसी से धन नहीं, केवल समर्पण की अपेक्षा की गई। उनका कहना है “दान तब तक सार्थक नहीं जब तक वह किसी के जीवन में स्थायी सुधार न लाए।” हरियाणा की भूमि सदियों से साधु-संतों की तपोभूमि रही है।

पर आज के युग में जब धार्मिक संस्थाएं अक्सर दिखावे और राजनीति में उलझ जाती हैं, ऐसे समय में संत रामपाल जी महाराज का यह सेवा अभियान एक नई मिसाल पेश करता है। उनका कार्य न तो मीडिया प्रचार के लिए है, न सत्ता से सराहना पाने के लिए। वे स्वयं किसान परिवार से हैं और मिट्टी, मेहनत और मौसम की मार को गहराई से समझते हैं।
इसलिए उनकी सेवा केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि किसान के दर्द की अनुभूति है। एक वृद्ध किसान की आवाज गूंजती है “चार महीने से खेतों में पानी था। सरकार से कोई नहीं आया। लेकिन महाराज जी के सेवादार दो दिन में मोटर लेकर आ गए। हम क्या कहें, यही तो असली धर्म है।”
मानवता का पुनर्जागरण
संत रामपाल जी महाराज के इस अभियान का असर केवल खेतों या फसलों तक सीमित नहीं है। अन्नपूर्णा मुहिम के तहत उन्होंने लाखों परिवारों को भोजन, दवाएँ, घरेलू सामान से लेकर घर तक बनाकर दिए हैं। यह मुहिम पूरे देश में चल रही है। करोड़ों रुपये मानव सेवा में लगा देना कोई साधारण संत नहीं कर सकता यह पूर्ण परमेश्वर के ही वश की बात है। जब गांव में मोटरें चालू हुईं और पानी बहने लगा, तो वह केवल खेतों से जल का बहाव नहीं था, बल्कि निराशा से विश्वास की ओर प्रवाह था। गाँव के एक शिक्षक ने कहा “हमने बच्चों को समझाया कि ये सेवा केवल मशीनें नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का प्रतीक हैं। जब अगली बार बाढ़ आएगी, तो हमें किसी का इंतजार नहीं करना होगा, क्योंकि संत रामपाल जी ने हमें आत्मनिर्भर बना दिया है।”
संत रामपाल जी महाराज सदैव इस विचार को प्रकट करते हैं कि सच्ची भक्ति केवल भजन या पूजा नहीं, बल्कि सेवा और करुणा का अभ्यास है। उनके शब्दों में “जब मनुष्य सेवा करता है, तो वह परमात्मा से जुड़ता है। जब समाज की भलाई के लिए कार्य करता है, तभी धर्म जीवंत होता है।” उनका यह अभियान इस विचार का जीवंत उदाहरण है जहाँ भक्ति का अर्थ कर्म से जुड़ता है, और धर्म समाज के दुखों को कम करने का माध्यम बनता है। उन्होंने दिखाया कि ईश्वर में विश्वास केवल प्रार्थना से नहीं, बल्कि कर्म से साकार होता है।
समाज को दिशा देने संत रामपाल जी महाराज
Haryana Flood: आज के समय में जब समाज विभाजन और स्वार्थ के दौर से गुजर रहा है, संत रामपाल जी महाराज जैसे संत न केवल भक्ति का मार्ग दिखा रहे हैं, बल्कि समाज को एकजुट करने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। वे कोई साधारण संत नहीं हैं बल्कि स्वयं परमेश्वर का अवतार हैं। उनकी शिक्षाओं में सत्यभक्ति, भाईचारा, प्रेम, करुणा, भाईचारा, नशामुक्ति , दहेजमुक्ति, सत्यवादन, सदाचरण सम्मिलित है। वे अपनी संगत को किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचने की सलाह देते हैं। उनके अनुयायियों में हर वर्ग, हर जाति और हर धर्म के लोग एक साथ रहते, खाते-पीते, सत्संग सुनते और सेवा करते हैं।
“गांव कर्जदार रहेगा”, जनता की भावनाएं
Haryana Flood: जब बाडो पट्टी के लोगों ने राहत सामग्री प्राप्त की, तो उन्होंने ग्रामसभा के बीच संत रामपाल जी महाराज के प्रति आभार प्रकट किया। सरपंच पवन कुमार शास्त्री ने कहा कि “हमारी छोटी-सी प्रार्थना पर इतना बड़ा कार्य हुआ। यह हम सबके लिए वरदान है।
हम प्रण करते हैं कि इस उपकरण का सही उपयोग कर गांव को सदा के लिए जलमुक्त बनाएंगे।” पूर्व सरपंच ने कहा कि देश को ऐसे संतों की ज़रूरत है, जो केवल प्रवचन नहीं, बल्कि परिस्थितियों में उतरकर जनसेवा करें। संत रामपाल जी जैसे लोग ही समाज की रीढ़ हैं। गांव की एक महिला के अनुसार जब कोई नहीं आया, तब ये आए। ये सिर्फ संत नहीं, हमारे लिए तो भगवान हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी तारणहार
Haryana Flood: हरियाणा की इस बाढ़ ने अनगिनत जीवनों की परीक्षा ली। लेकिन उसी जल में कुछ ऐसी कहानियां भी जन्मीं, जो आने वाले वर्षों तक प्रेरणा बनेंगी। बाडो पट्टी गांव की यह कथा उनमें से एक है, जहां निराशा की भूमि पर संत रामपाल जी महाराज की सेवा ने विश्वास का बीज बोया। आज जब गांव के खेतों में पानी उतर रहा है, तो केवल मिट्टी नहीं, मन भी हल्के हो गए हैं। संत रामपाल जी महाराज ने यह सिद्ध किया है कि सच्चा संत वही है जो दुख में साथ दे। बाडो पट्टी अब केवल एक गांव नहीं, बल्कि मानवता की उस रोशनी का प्रतीक है जो तब चमकती है जब संसार अंधकार में डूबा होता है। संत रामपाल जी महाराज आज के युग में याद दिलाते हैं कि जब संसार पीड़ा में होता है, तब ईश्वर किसी न किसी रूप में अवश्य अवतरित होता है।



