अमृतसर ज़िले की अजनाला तहसील इस वर्ष भयंकर बाढ़ की चपेट में आ गई। नदियों के उफान ने खेतों को तालाब में बदल दिया और जिन ज़मीनों पर कभी हरियाली लहराती थी वहाँ अब केवल पानी का सन्नाटा पसरा है। किसानों की मेहनत की फसलें धान की पौध पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। मिट्टी में इतनी नमी और प्रदूषण घुल चुका है कि रबी सीज़न की गेहूँ यानी कणक की बुवाई भी नामुमकिन लग रही थी।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई गाँवों में दो से चार फीट तक पानी जमा है। यह सिर्फ जलभराव नहीं बल्कि उनके भविष्य का संकट है। खेतों में काम नहीं हो पा रहा, मवेशियों के लिए चारा नहीं, और जो पशु बचे हैं वे भी संक्रमण और भूख के खतरे में हैं। ऐसे में किसानों की सबसे बड़ी चुनौती थी पानी की निकासी। सरकारी मदद का इंतज़ार लंबा हो गया और तब ग्रामीणों ने खुद ही रास्ता तलाशा। उन्होंने संत रामपाल जी महाराज की टीम से संपर्क किया।
संत रामपाल जी महाराज बने किसानों के संकटमोचक
जैसे ही बाढ़ पीड़ितों की पुकार संत रामपाल जी महाराज तक पहुँची, उनकी टीम हरकत में आ गई। बिना देर किए उन्होंने जल निकासी के लिए ज़रूरी उपकरण भेजने का आदेश दिया। यह राहत सामग्री सतलोक आश्रम, ख़माणों से रवाना की गई। कार्य की गति इतनी तेज़ थी कि चौबीस घंटे के भीतर उपकरण प्रभावित गाँवों तक पहुँच गए।
यह पूरी पहल संत रामपाल जी महाराज की परोपकारी योजना ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ के तहत की गई। किसानों के अनुसार, जब से उपकरण पहुँचे हैं उन्होंने राहत की साँस ली है। पानी की निकासी शुरू होते ही खेतों में फिर से कामकाज की उम्मीद जागी है। ग्रामीणों ने कहा कि यह मुहिम उनके लिए नई जान लेकर आई है।
तकनीकी उपाय 4000 फीट पाइप और 10 एचपी मोटर की तैनाती
अजनाला के तीन प्रमुख प्रभावित गाँवों में राहत सामग्री के रूप में जो उपकरण भेजे गए वे अपने आप में एक बड़ी तकनीकी सहायता थे। इनमें 4000 फीट लंबी और 6 इंच व्यास की लचीली पाइपलाइन शामिल थी। इतनी बड़ी लंबाई इसलिए ज़रूरी थी ताकि पानी को सुरक्षित दूरी तक गाँवों से बाहर निकाला जा सके। ये सभी सामग्री तुलसी अंडरग्राउंड पाइप फैक्ट्री से मंगवाई गई जो पिछले 18 सालों से उच्च गुणवत्ता के पाइपों के लिए प्रसिद्ध हैं।

इसके साथ ही 10 हॉर्सपावर एचपी की उच्च क्षमता वाली मोटर भेजी गई जो दो से चार फीट गहरे पानी को तेज़ी से निकालने में सक्षम है। इस मोटर और पाइप को स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी औज़ार नट बोल्ट, ड्रिल और अन्य सामग्री भी साथ भेजी गई।
इन सबकी व्यवस्था इतनी सुनियोजित थी कि ग्रामीण तुरंत काम शुरू कर सके। यह सिर्फ राहत का कार्य नहीं बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम था।
उद्योग जगत का सहयोग मानवता के लिए साझेदारी
इस राहत कार्य में तुलसी अंडरग्राउंड पाइप फैक्ट्री के मालिक ने ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ की सराहना करते हुए कहा,
“संत रामपाल जी महाराज बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। जिन किसानों की ज़मीनें बाढ़ में बर्बाद हुई हैं उनके लिए यह मुहिम वरदान साबित हो रही है। हम इस प्रयास का हिस्सा बनकर गर्व महसूस करते हैं।”
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इससे पहले भी संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में ‘अन्नपूर्णा मुहिम’ के तहत हरियाणा में लाखों फीट पाइप दान किए जा चुके हैं जिनसे सैकड़ों गाँवों को बाढ़ से राहत मिली।
कबीर पंथ की जड़ में सेवा भूखों को कुछ दे
संत रामपाल जी महाराज की सेवा भावना किसी अवसर विशेष तक सीमित नहीं है। यह कबीर साहिब जी की वाणी पर आधारित है
कहै कबीर पुकार के, दोय बात लख लेय।एक साहेब की बंदगी, व भूखों को कुछ देय।।
इस विचार के अनुरूप उनके सभी कार्य मानवता की सेवा और परमात्मा की भक्ति के संगम हैं। बाढ़ जैसी आपदाओं में राहत पहुँचाना इस विचारधारा का जीवंत उदाहरण है।
अन्नपूर्णा मुहिम भूखमुक्त भारत की दिशा में कदम
संत रामपाल जी के आदेश पर चल रही अन्नपूर्णा मुहिम का लक्ष्य है कोई भी भूखा न सोए। इस मुहिम के तहत संत रामपाल जी महाराज न केवल भोजन बल्कि पाँच बुनियादी आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा, चिकित्सा, शिक्षा और मकान की पूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
सिर्फ पंजाब में ही दो सौ से अधिक परिवार हर महीने इस मुहिम के ज़रिए सहायता पाते हैं। इन परिवारों को राशन, दवाइयाँ, कपड़े, शिक्षा सामग्री और आश्रय की सुविधा दी जाती है।
संत रामपाल जी महाराज की सेवा में धन का कोई मोल नहीं। वे करोड़ों रुपये मानव कल्याण पर खर्च करने में भी पीछे नहीं हटते क्योंकि उनके अनुसार सच्ची भक्ति वही है जो दूसरों के जीवन में प्रकाश लाए।
एक समर्पण – शब्दों से परे
अजनाला में भेजी गई यह सहायता केवल राहत नहीं बल्कि उस सोच का विस्तार है जिसमें इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। संत रामपाल जी महाराज की यह त्वरित और प्रभावी कार्रवाई दिखाती है कि जब नेतृत्व में सेवा और करुणा का संगम हो तब समाज की दिशा बदल सकती है।
अन्नपूर्णा मुहिम अब केवल एक पहल नहीं बल्कि एक जनांदोलन का रूप ले चुकी है जहाँ हर भूखे को भोजन, हर बेघर को आसरा और हर संकटग्रस्त किसान को उम्मीद मिल रही है। उनकी मुस्कुराहटें इस बात की गवाही दे रही हैं कि संत रामपाल जी महाराज ने अन्नपूर्णा मुहिम के तहत न केवल पानी निकलवाया बल्कि निराशा की दलदल से उम्मीद की नदियाँ बहा दीं।
यह घटना एक मिसाल है कि जब करुणा, तकनीक और संगठित प्रयास साथ आते हैं तब हर आपदा अवसर में बदल सकती है। अन्नपूर्णा मुहिम यही सिखाती है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।



