बलात्कार की घातक वारदातें दिनों-दिन फैल रही हैं जिन्हें रोक पाने में सरकार और समाज दोनों निष्फल दिख रहे हैं । दुष्कर्मी लोग बलात्कार के बाद अपना गुनाह छिपाने के लिए पीड़िता को जान से मार देते हैं। मनुष्य के भीतर छुपकर बैठी हैवानियत कब कहाँ किस लड़की पर हमला कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता।
बलात्कार के वक्त बहन बेटियां चीखती हैं, चिल्लाती हैं, बलात्कारी के आगे गिड़गिड़ाती हैं और खुद को असहाय पाकर भगवान को बार-बार पुकारती हैं लेकिन कोई भगवान उनकी मदद के लिए नहीं पहुँचता, जबकी बहनों की पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और अपने इष्ट के प्रति श्रद्धाभाव व आस्था पुरुषों से अधिक होती है।
यहां पर सवाल यह उठता है की जब द्रौपदी को भरी सभा में नग्न करने की कोशिश हुई थी तो उसकी करूण पुकार पर भगवान ने मदद की थी। लेकिन वर्तमान में यह मदद क्यों नहीं होती ? क्या बहनों की भक्ति विधि शास्त्र विरूद्ध है या फिर कलयुग में भगवान बदल गया है? या भगवान के पास सुख देने वाली और भगत की रक्षा करने वाली शक्तियां खत्म हो गई हैं?
द्रौपदी की बात करें तो उसने सभा में बैठे सभी महानयोद्धाओं, आदरणीय परिजनों और अपने पांच पतियों को मदद के लिए पुकार लगाई लेकिन किसी ने भी उठ कर मदद नहीं की। ठीक इसी तरह इस घोर कलयुग में जब भी कोई बहन बेटी हवस के भूखे दरिंदों के चंगुल में अकेली पड़ जाती है तो डर और घबराहट में अपने ईष्ट देवों से चीख-चीखकर मदद मांगती है। पर कोई सुनवाई कहीं नहीं होती दिखती? न कोई मदद मिलती है और घटना को अंजाम देने वाले मानवीय राक्षस अपने नीच मनसूबों मे कामयाब हो जाते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसी परिस्थिति में फंसी बहन, बेटी या मां की पुकार सुन कर भगवान दौड़े क्यों नहीं आते?
इसका कारण यह है कि जिन भी भगवानों से बहन, बेटी मदद के लिए रो रो कर पुकारती है वह तो खुद हमें कुछ नहीं दे सकते, हमारी मदद सिर्फ कबीरजी ही कर सकते हैं। जैसे एक बार द्रौपदी ने साधु रूप में आए हुए कबीर परमात्मा को अपनी साड़ी का कुछ हिस्सा फाड़कर दिया था। इस कारण जब द्रौपदी ने मदद की प्राथना की तो पूर्ण परमात्मा ने उसके गुरु श्री कृष्ण के माध्यम से परमात्मा की भक्ति और विश्वास को जीवित रखने के लिए द्रौपदी की इज़्ज़त बचाई। मनन रहे, जहां एक ओर कौरवों की भरी सभा में द्रोपदी के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था वहीं दूसरी ओर श्री कृष्ण जी तो अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर के खेल में व्यस्त थे, उन्हें तो द्रौपदी के बारे में भी बाद में पता चला। कबीर परमात्मा द्रौपदी के बारे में कहते हैं “जै मेरी भक्ति पिछोडी़ होई हमरा नाम न लेवै कोई” अर्थात:- मेरी भक्त बेटी पर अगर आंच भी आई तो फिर मुझे कौन याद करेगा ?
वर्तमान में अगर सृष्टि की सभी बहनें ऐसी घटनाओं से अपनी सुरक्षा चाहती हैं तो उन्हें सत भक्तिमार्ग और पूर्ण परमात्मा की पहचान कर शरण ग्रहण करनी होगी क्योंकि समाज में जो अंधभक्ति चल रही है वह शास्त्र विरुद्ध है। गीता जी के अनुसार शास्त्र विधि को त्यागकर जो मनमानी पूजा करता है उसे कभी सुख नहीं मिलता । इसलिए अब शास्त्रानुकूल साधना ही एकमात्र बचाव और उपाय है। पूर्ण साधना भक्ति विधि सिर्फ पूर्ण सतगुरु ही दे सकता है।
शास्त्रविरुद्ध साधना के कारण उपरोक्त स्थिति में कोई भी भगवान आपकी मदद नहीं कर सकते।लेकिन शास्त्रों के अनुसार भक्ति करने पर पूर्ण परमात्मा कबीर जी ज़रुर मदद करेंगे। केवल वही एकमात्र ऐसी दयालु शक्ति हैं जिनकी साधना अगर बहनें पूर्ण सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नाम उपदेश लेकर करेंगी तो संकट ही नहीं जीवन के प्रत्येक क्षण में सभी बहनों की रक्षा होगी।
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