अजीब बात है की परमात्मा प्राप्ति, दुखो से छुटकारा, एवं मनोकामना पूर्ति मे लाखो लोग अपना पैसा, समय, और श्रद्धा व्यर्थ ही गवा बैठते है ..सर्व मनोकामना पुर्ति के मंत्र पाने के लिए साधु संतो के चक्कर काटते रहते है |
कभी तो बार-बार मंत्र बदलते रहने मे ही मनुष्य जीवन समाप्त हो जाता है | अज्ञानियो ने “ओम नम:शिवाय” मंत्र को अविनाशी, अनुपम, शक्तशाली बताकर जन-मानष के भक्ति मार्ग मे एक अवरोध खड़ा कर दिया | गायंत्री मंत्र को भी अतुल्य, अपार, और अनन्त बताकर भक्तगणो को पुर्ण मोक्ष प्राप्ति से वंचित कर दिया | कथाकार, पंडित, और अल्पज्ञ साधु संतो को वेद शास्त्रो का वास्तविक ग्यान न होने से “ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:” मंत्र को ही अद्वितीय, ऐश्वर्यशाली, और सिद्ध मंत्र बताकर मानव को शास्त्रअनुकुल साधना से दूर कर दिया |
जब समाज पर ऋषि-मुनियो की अल्पज्ञता की गहरी छाप चढ़ी तो जन-जन ने “महाम्रत्युंजय मंत्र” को ही दिर्घायु, शाश्वत, सर्वश्रेष्ठ रक्षामंत्र मान लिया तथा वास्तविक मोक्षदायक मंत्रो से रुबरु ना हो सके | किसी ने तो श्री गणेश जी के मंत्र को रिद्धि-सिद्धि प्राप्ति मंत्र, और श्री दुर्गा जी के निर्वाण मंत्र को सर्वोच्च और जन्म मरण से छुटकारे का उपाय बताकर वास्तविक सतमंत्रो से हमे अपरिचित ही रखा | कुछ नकली गुरुओ ने पांच नाम जाप के दे दिए वो भी “काल” के…| और भी अनेको मंत्र है जिनके पल्ले बंधा है मनुष्य..| कुछ तो “राम राम” कहकर संतुष्ट रहते और कुछ “जय श्री कृष्ण” जापकर “राधे राधे” की रट लगाते हुए स्वयं को भक्तिमार्ग मे सफल मान बैठे |
जब मंत्रो से भी बात ना बनी तो तंत्र, यंत्र, का सहारा लेकर भी अपने पूरे जीवनकाल मे सुख-समृध्दी और पूर्ण मोक्ष के लिए हर तरह से हाथ पांव मारे, लेकिन पूर्ण संत नही मिलने से जैसा भी उपाय हत्थे चढ़ा वैसा कर लिया | कभी अपने विवेक से कोई सदग्रंथ खोलकर देखना चाहा की जीवन मे सुख एवं पुर्ण मोक्ष प्राप्ति का वह कौन सा सतमंत्र है, जो वास्तव मे हमारे सर्व सदग्रंथो मे प्रमाणित है | जब की उपरोक्त सभी देवताओ के मंत्र किसी भी सदग्रंथ मे प्रमाणित नही है |
विडम्बना है की जीविका उपार्जन, समय और शिक्षा के अभाव मे मनुष्य कभी सदग्रंथो को ना पढ़ सका और ना ही सच का पता लगा सका तो इसी का फायदा उठाकर सर्व ऋषि-मुनि संत महंत, शंकराचार्य , मठाधीश , पीठाधीश और अध्यात्म के ठेकेदारो ने जनता को मूर्ख बनाया | ग्रंथो की सच्चाई से यह नकली, अज्ञानी खुद भी वंचित ही रहे, लेकिन अब संत रामपाल जी महाराज ने वास्तविक मंत्रो के रहस्य को उजागर करके समाज की बदहाली को खुशहाली मे बदल दिया है |
गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 मे बताया है की “ओम, तत्, सत” इन्ही तीन मंत्रो से आप सर्व सुख और पुर्ण मुक्ति प्राप्त कर सकते है, और इतना ही नही बल्कि यह तीन मंत्र भी सांकेतिक है, जो पूर्ण संत से ही प्राप्त हो सकते है | उस पूर्ण संत की पहचान गीता जी के अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 मे बताई है, जो संत रामपाल जी महाराज है | और यही सच्चे मंत्र जन-जन तक बल्कि घर-घर तक पहुँचाने का अथक प्रयास कर रहे है |
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