वैज्ञानिक लोग विज्ञान के द्वारा कुछ परिस्थितियो एवं घटनाओ को पहले से ही भापकर बता देते है कि कब कौन सी घटना घटेगी, यहा तक की अगले दिन सूरज कब उगेगा, अस्त कब होगा, ग्रहण कब होगा, यह भी बता देते है लेकिन सोचने वाली बात है की अगर यह उपरोक्त भविष्यवाणिया नही की जाती तो क्या यह सब घटित नही होता, सुर्य उदय नही होता, या ग्रहण नही लगता, परमात्मा के विधान अनुसार ये सब तो होना ही है, अगर वैज्ञानिक ये बाते नही बोलते तो भी ये सब होना ही था। उसी तरह कुछ भविष्यकर्ता अपनी भक्ति कमाई से आगे होने वाली घटनाओं को देख लेते है जो कि परमात्मा के विधानुसार होना ही है।
नास्त्रेदमस एक फ्रांस भविष्यकर्ता है जिन्होने अपने 1000 श्लोक के माध्यम से 1555 में भविष्य में होने वाली कई घटनाएं लिखी। उसने 16 वी शताब्दी को पहला शतक कहा है। उन्होंने कहा कि तीन तरफ से समुद्र से घिरे हुए देश मे जहा पाँच नदिया बहती है वहा एक महापुरुष जन्म लेगा। साफ तौर पर इशारा पंजाब प्रांत की और है जहाँ संतरामपालजी का जन्म हुआ जो कि बाद में विभाजित हुआ और हरियाणा राज्य के नाम से एक नया राज्य बना। नास्त्रदेमस खुद यहूदी थे और क्रिस्चियन धर्म मानते थे पर फिर भी उन्होंने कहा कि वह शायरन यानी मुक्तिदाता क्रिस्चियन या मुसलमान नही होगा, वह निस्संदेह हिंदू होगा। उसने कहा है कि शायरन एक नया ज्ञान आविष्कार करेगा तथा एशिया में उस खंड में जन्म लेगा जिसके नाम पर महासागर का नाम हैं। जैसे कि हिन्द महासागर और हिंदुस्तान है। वह अज्ञान नींद में सोए हुए समाज को तत्वज्ञान की रोशनी से जगायेगा जिससे मानव समाज हड़बड़ा कर जाग उठेगा। वह मुक्तिदाता अपनी पूजा का आधार गुरुवर अर्थात श्रेष्ठ गुरु यानी सतगुरु को बनाएगा। संतरामपालजी महाराज ने गीता, वेद, क़ुरान, बाइबल के आगे एक नया ज्ञान दिया है तथा इसके द्वारा सतगुरु कबीर साहेब की साधना भक्ति के बारे में बताया है जिसके बारे में आजतक कोई नही जानता था। इस गुरुवर को एक दूसरे व्यक्ति ने थर्सडे कर दिया है जो कि यहां सटीक नही बैठता। नास्त्रेदमस अचंभित होकर ’’ग्रेट शायरन‘‘ के बारे में बताता है कि उसके ज्ञान के दिव्य तेज के प्रभाव से उस द्वीपकल्प (भारतवर्ष) में आक्रामक तूफान, खलबली मचेगी अर्थात् अज्ञानी संतों के द्वारा विद्रोह किया जाएगा। पर उसको शांत करने का उपाय भी उसी को मालूम होगा जैसा कि आज सभी नकली धर्मगुरु संतरामपालजी का विरोध कर रहे है। वह संसार को हिंसक क्रुरचंद यानी काल के बारे में बताएगा और सभी को उससे बचने का उपाय भी बताएगा। तथा इस क्रूर भूमि से मुक्त करवाकर अपने पूर्वजों के पास यानी सतलोक मे स्थाई स्थान प्राप्त करवाएगा। उसने कहा है कि वह महापुरुष 5 वे शतक के अंत मे अधेड़ उम्र मे चौकट लांघकर अपना ज्ञान फैलाएगा तथा लोग उसे नासमझी के कारण उपेक्षा का पात्र बनाएंगे जैसे की संतरामपालजी महाराज ने 1999 में घर घर सत्संग करना छोड़ रोहतक (हरियाणा) में करौंथा आश्रम बनाया। उसने कहा कि 450 वर्ष बाद यानी 2006 में वह संत नकली गुरुओ की ज्ञान से खाल उतार देगा जैसा कि संतरामपालजी महाराज ने आर्य समाज औऱ अन्य के साथ किया जिसके कारण करौंथा कांड हुआ। नास्त्रेदमस कहता है कि उस महान व्यक्तित्व की उपेक्षा के कारण वह दुखी होता है लेकिन उसे इस बात की खुशी है कि उसकी भविष्यवाणी उस संत की गौरवगाथा गायेगी।
नास्त्रेदमस कहता है कि “वह हिन्दुस्तानी महान तत्वदृष्टा संत सभी को अभूतपूर्व राज्य प्रदान करेगा। वह समान कायदा, समान नियम बनाएगा, स्त्री-पुरुष में, अमीर-गरीब में, जाति और धर्म में कोई भेद-भाव नहीं रखेगा”। उसने कहा कि शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान ‘शायरन’ जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा तथा एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता, एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।”
यही बाते जयगुरुदेव पंथ की स्थापना करने वाले तुलसीदास हाथरस वाले ने भी कहा है कि कलयुग में सतयुग लाने वाले का जन्म भारतवर्ष के छोटे से गांव में हो चुका है और 7 सितंबर 1971 में ठीक 20 वर्ष का हो चुका है और संतरामपालजी का जन्म 8 सितंबर 1951 में हुआ है। उन्होंने कहा है कि इस संत की अध्यक्षता में ही भारत दुनिया मे सिरमौर बनेगा तथा सारे राष्ट्र मिलकर भी भारत को नही हरा पाएंगे।
इन्ही बातो की गवाही इंग्लैंड के ज्योतिषी कीरो, श्री वेजीलेटिन,अमेरिका की महिला जीन डिक्सन, अमेरिका की भविष्यवक्ता श्री चार्ल्स क्लार्क, अमेरिका के हेंडरसन, हंगरी की महिला ज्योतिषी बोरिस्का, फ्रांस के जुल्वर्न, हॉलैंड की जरदारी क्राइसे, इजराइल के प्रो. हरार, नॉर्वे के आनंदाचार्य ने भी दी है जो कहते है कि 20 सदी के अंत मे विश्व मे भारी उथल पुथल रहेगी व भारत के छोटे से गाँव मे जन्मा व्यक्ति एक नई विचारधारा लाकर सम्पूर्ण विश्व से युध्द को सदा के लिए भगा देगा व शांति स्थापित करेगा ।
जो महापुरुष अनेक कष्टो को सहता हुआ भी अपनी तपस्या या सत्य पर अडिग रहे वह गलत नही हो सकता। सत्य पर अडिग रहते हुए ईसा मसीह ने भयंकर कष्ट झेला, सुकरात ने जहर का प्याला पिया। यदि आज सभी उस परमत्व के ज्ञाता संत को पहचानकर सच स्वीकार कर, उसके बताये हुए रास्ते पर चले तो विश्व मे सद्भाव आपसी भाईचारा तथा सद्भक्ति का वातावरण हो जाएगा। वर्तमान में सभी पढ़े लिखे है और सभी उसे पहचान सकते है और वह है संतरामपालजी महाराज।
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